मुंशी प्रेमचंद ने साहित्य को धरातल पर उतारा थ- प्रमोद श्रीवास्तव
अजीत सिंह
सिद्धार्थनगर। साहित्य सम्राट मुंशी प्रेमचंद उर्दू का संस्कार लेकर हिंदी में आए और हिंदी के महान लेखक बने। कहानी और उपान्यास में युगानंतरकारी परिवर्तन किया। आम आदमी को अपनी रचनाओं का विषय बनाया और उसकी समस्याओं पर खुलकर कलम चलाते हुए साहित्य को सच्चाई के धरातल पर उतारा। ऐसे महान साहित्यकार के जीवन से नई पीढ़ी को सीख लेने की आवश्यकता है।
उपरोक्त विचार अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के जिला महामंत्री प्रमोद कुमार श्रीवास्तव ने व्यक्त किया। वह रविवार को शहर स्थित भगवान चित्रगुप्त मंदिर पर महान साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद की जयंती अवसर पर आयोजित श्रद्धांजलि कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आज की परिपाटी में नई पीढ़ी का रुझान किताबों से ज्यादा डिजिटल मीडिया पर है। कायस्थ समाज में जन्में मुंशी प्रेम चंद्र की कहनियों को पढ़ने के लिए आज की युवा पीढ़ी को जागरूक करने के साथ ही प्रेरित करने की आवश्यकता है।
चित्रगुप्त मंदिर समिति के अध्यक्ष देवानंद श्रीवास्तव ने कहा कि कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य मुंशीजी को श्रद्धांजलि अर्पित करने के साथ ही उनकी की कहानियों में मौजूद भावों, मानवीय संवेदनाओं और नैतिक शिक्षाओं को जन सामान्य तक पहुंचाना है। डॉ. केशव कुमार श्रीवास्तव, अरुण कुमार श्रीवास्तव, संजीव श्रीवास्तव, लाल आनंद प्रकाश, सुजीत श्रीवास्तव, राजेश श्रीवास्तव, सुधीर श्रीवास्तव, सुदीप श्रीवास्तव, सुनील श्रीवास्तव, विनय श्रीवास्तव, संतोष श्रीवास्तव उपस्थित थे।