शोहरतगढ़ में मुस्लिम वोटों की एकजुटता की कवायद, बहुकोणीय लड़ाई में फंसे उम्मीदवार
6 उम्मीदवारों के बीच कांटे की टक्कर मगर चुनावी तस्वीर अभी धंघली, एक सप्ताह बाद छंटेगा चुनावी धुंधलका
मुस्लिम मतों को एकजुट करने में कामयाब रहे तो चुनावी रेस के डार्कहार्स साबित हो सकते हैं डा. सरफराज अंसारी
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। शोहरतगढ़ विधानसभा सीट पर लड़ाई दिलचस्प हाती जा रही है। यहां आधा दर्जन उम्मीदवारों के बीच अभी शुरूआती संघर्ष है। जिसमें भागीदारी मोर्चा के उम्मीदवार डा. सरफराज अंसारी मुस्लिम मतों को एकजुट कर अपने को मुख्य संघर्ष के लाने के प्रयास में लगे हुए है। इसके अलावा कांग्रेस के पप्पू चौधरी व बसपा के राधारमण त्रिपाठी पूरी ताकत से चुनावी मैदान में उटे हुए हैं।
वर्तमान विधायक और सपा, बसपा गठबंधन उम्मीदवार
इस सीट से पप्पू चौधरी, राधारमण त्रिपाठी और डा. सरफराज अंसारी के अलावा भीम आर्मी से विधायक अमर सिहं चौधरी, भाजपा गठबंधन से अपना दल के विनय वर्मा तथा सपा गठबंधन से सुभाषपा उम्मीदवार प्रेम चंद कश्यप मैदान में हैं।अपना दल के विनय वर्मा अभी क्षेत्र में आकर भाजपा कार्यकर्ताओं से सम्पर्क में लगे हैं। बाहरी होने के कारण उन्हें वर्करों का अभाव खल रहा है। भाजपा वर्करों को बटोरने के लिए फिलहाल उन्होंने थैली का मुंह खोल दिया है। विधायक अमर सिंह इस बार भाजपा गठबंधन से आउट हैं। और चन्द्रशेखर रावण की पार्टी से मैदान में है, जिसका क्षेत्र में जनाधार निर्दल प्रत्याशी सरीखा है।
यही हाल सपा गठबंधन से ओम प्रकाश राजभर की पार्टी सुभाषपा के प्रेम चंद कश्यम का है। बहरी होने के कारण सपा कार्यकर्ताओं की कमी उन्हें भी खल रही है। क्षेत्र में उनके खिलाफ बाहरी उम्मीदवार होने का नारा फैलाया जा रहा है।इन दोनों की हालत अभी कमजोर है। सकद भापा अैर सपा के नेता इनके चुनाव में आये तो स्थिति में परिवर्तन हो सकता है। इसके अलावा इन दोनों को क्षेत्र में कोई व्यक्तिगत सम्पर्क नहीं है, जिसके कारण उनकी कठिनाइयों में इजाफा हो रहा है।
पप्पू चौधरी का जोर
मैदान में बचते हैं तीन खिलाड़ी। कांगेस के पूर्व विधायक पप्पू चौधरी हैं चार बार के विधाक रहे पप्पू चौधरी का जनाधार सर्वविदित है। इस क्षेत्र में उनकी बिरादरी (कुर्मी) के वोट भी लगभग 10 प्रतिशत है। उन्हें चुनावी युद्ध का पूरा अनुभव भी है। । पप्पू चौधरी का उनके गृह ब्लाक बढ़नी के मुलमानों में प्रभाव देखा जा रहा है।उनके समर्थक हर जाति बिरादरी में मिलेंगे। लिहाजा वे चुनावी रेस में आगे बताये जाते हैं।
राधारमण को कुछ भाजपाइयों की गुप्त मदद
इसके अलावा बहुजन समाज पार्टी से राधारमण त्रिपाठी मैदान में हैं। पूर्व में भाजपा नेता रहे होने के कारण उनके साथ भाजपा समर्थक ब्राह्मणों की अच्छी खासी तादाद जुटी हई दिखती है। कहते हैं कि उन्हें भाजपा के एक तबके को गुप्त समर्थन मिला हुआ है। उनके समर्थक पिछढ़े वोटों में भी अपनी पकड़ होने का दावा करते हैं। मगर उनके साथ अच्छे चुनावी मैनेजरों का अभाव है। जो उनकी कमजोरी है। फिर भी वे पूरी ताकत से लड़ रहे हैं।
डा. अंसारी साबित हो सकते हैं डार्कहार्स
इन दोनों के बीच भागीदारी मोर्चा का डा. सरफराज अंसारी हैं। जो कांग्रेस का टिकट न मिलने के कारण इस मोर्चे से लड़ रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार डा, अंसारी पिछले पांच साल से लगातर क्षेत्र में हैं। शेहरतगझ़ सीट पर आधा दर्जन सक्रिय उम्मीदवारों के बीच वे अकेले मुस्लिम हैं। जानकार बताते हैं कि क्षेत्र के 26 फीसदी मुस्लिम मतों को एकजुट करने की कोशिश में हैं। इसके अलावा अन्य पिछड़ी जातियों को एक छोटा तबका उनके साथ है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि सदि डा. सरफराज अंसारी मुस्लिम मतों को लामबंद करने में सफल हो गये तो वे इस चुनावी रेस के डार्कहार्स बन कर बाजी अपने पक्ष में कर सकते हैं।
परिदृश्य अस्पष्ट
फिलहाल शोहरतगढ़ सीट पर बहुकोणीय मुकाबला जारी है। इसमें कोन कितना ताकतवर है यह क्षेत्र भ्रमण के बाद ही अनुमान किया जा सकता है। फिलहाल अभी चुनावी परिदृश्य स्पष्ट नहीं है। उम्मीद की जा सकती है कि एक सप्ताह बाद परिदृश्य स्पष्ट होगा तब चुनाव में सीघी लड़ाई का अनुमान कि जा सकेगा।