पांचवे दिन करे माँ स्कंदमाता की पूजा मनोकामनाएं जरूर पूरी होंगी

September 30, 2022 9:20 AM0 commentsViews: 239
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अजीत सिंह
सिद्धार्थनगर। “मां स्कंदमाता” मां का पांचवा विग्रह स्वरूप है। देव सेनापति बनकर तारकासुर का वध करने वाले और मयूर (मोर) को वाहन रूप में अपनाने वाले स्कंद की माता होने के कारण उन्हें स्कंदमाता के नाम से पुकारा जाता है। नवरात्रि के पांचवे दिन मां के इस रूप की पूजा अर्चना की जाती है। योगी (भक्त) इस दिन पुष्कल चक्र या विशुद्ध चक्र में मन एकाग्र करते है। मां का यह विग्रह स्वरूप चार भुजाओं वाला होता है।
माता अपनी गोद में भगवान स्कंद को बिठा रखती हैं। दाहिनी ओर की नीचे वाली भुजा में कमल पुष्प वरण किया हुआ है और बाई ओर की उपर वाली भुजा से मां भक्तों को आशीर्वाद और वर प्रदान करती हैं। नीचे वाली भुजा में कमल पुष्प है। मां का वर्ण पूरी तरह निर्मल कांति वाला सफेद है और यह कमलासन पर विराजती हैं।
वाहन के रूप में माँ ने सिंह को अपनाया है। मां स्कंदमाता की उपासना से साधक को मृत्यु लोक में ही परम शांति तथा सुख मिलता है और वह विशुद्ध चैतन्य स्वरूप की ओर बढ़ता है।
सुख शांति के लिए स्कंदमाता की पूजा
मां स्कंदमाता की साधना का संबंध व्यक्ति की सेहत, बुद्धि, चेतना, तंत्रिका तंत्र और रोग मुक्ति से है। नवरात्रि के पांचवे दिन भक्तों को केले का भोग लगाना चाहिए या फिर इसे प्रसाद के रूप में दान करना चाहिए। इससे परिवार में सुख शांति आती है। मां स्कंदमाता की साधना से असाध्य रोगों का निवारण होता है और गृहक्लेश से मुक्ति मिलती है। बुद्धिबल में वृद्धि के लिए माँ को मंत्रो के साथ छह इलायची चढ़ाएं। इस दिन सामर्थ्य अनुसार किसी कन्या को कोई भी आभूषण भेंट करें।

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