सभी प्रमुख नदियां डैंजर लेबिल पर गईं, राप्ती व बूढ़ी राप्ती का कहर शुरू, गांवों में भगदड़
गोरखपुऱ-गोंडा वाया सिद्धार्थनगर, बलरामपुर पर टेंनों को संचलन बंद, सिद्धार्थनगऱ-बलरामपुर सड़क मार्ग पर चढ़ा पानी, मचा हाहाकार
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। जिले की प्रमुख नदी बूढ़ी राप्ती, घोघी पहले ही खतरे के निशान से ऊपर बह ही रही थी, अब राप्ती नदी भी खतरे के निशान के ऊपर पहुंच चुकी है। इससे कई गांव जलमग्न हो गए है, वहीं जिले में बाढ़ से तबाही की आशंका बढ़ गई है। लगातार बढ़ रहे जलस्तर से नदी किनारे के बांधों पर भी खतरा मंडराने लगा है। गोरखपुर से सिद्धार्थनगर होकर गोंडा जाने वाली ट्रेने बंद कर दी गई है। गोंडा बलरामपुर सड़क मार्ग भी बंद हो गया है। बाढ़ के खतरे को देख प्रशासन भी अलर्ट नजर आ रहा है।
बूढ़ी राप्ती नदी का जलस्तर तीन दिन से खतरे के निशान 85.650 से ऊपर 87.080 पर यानी डेढ़ मीटर ऊपर बह रही है। जिले के इटवा, उसका, जोगिया, शोहरतगढ़ और बढ़नी क्षेत्र के कई गांव जलमग्न हो चुके हैं। इसके साथ ही घोघी नदी का जलस्तर लाल निशान पार हा गया है। इससे उस क्षेत्र के अमहट, बैरवास आदि कई गांव पानी से घिरे हुए हैं। ड्रेनेज विभाग के अनुसार, राप्ती नदी सोमवार की शाम पांच बजे खतरे का निशान पार कर गई थी। केंद्रीय जल आयोग के बाढ़ पूर्वानुमान केंद्र से मिली जानकारी के अनुसार, राप्ती नदी एक सेंटी मीटर प्रति घंटा बढ़ रही है। इससे तट पर बसे दर्जनों गांवों के ग्रामीण चिंतित हैं।
बांसी पनघटिया बांध पर किमी दो में शास्त्री नगर वार्ड के पास बड़ा छेद हो गया है। सूचना मिलते ही सिंचाई विभाग के कर्मियों ने छेद को बंद करने की कवायद शुरू कर दी है। सिंचाई निर्माण खंड के अधिशासी अभियंता आरके सिंह ने बताया कि नदी के बढ़ते जलस्तर को देखते हुए बांधों की निगरानी तेज कर दी गई है। उन्होंने बताया कि सभी बांधों के बारिश की कटान व चूहों के बिल की भराई तथा रेगुलेटर को बंद करने का कम चल रहा है। डुमरियागंज क्षेत्र में बिजौरा पुलिस चौकी भी पानी से घिर गई है। सिरसिया सीएचसी पानी से घिरा है। सुरक्षा की दृष्टि से सिरसिया पावर हाउस की सप्लाई बंद कर दी गई है।
विकास खंड लोटन में घोंघी नदी और कूड़ा नदी के बीच के दोआब क्षेत्र में भीषण बाढ़ का प्रकोप है। कई गाँवो के रास्ते पर पानी चढ़ गया है। सबसे ज्यादा खराब हालत में ग्राम सभा परसौना और बड़हरा का है। इन गाँवो की हालत बत्तर तो है ही इससे लगने वाले टोले भी बाढ़ के चपेट में बुरी तरह है। प्रशासन के लोग भी अभी तक नहीं पहुँच सके है।
एक अन्य सूचना के अनुसार राप्ती की बाढ़ से ग्राम नेबुआ, सिरसिया रमवापुर बेतनार आदि गांव पानी से घिर गये हैं। इसके अलावा बाढ़ से शाहपुर सिंगारजोत मार्ग पानी में डूब गया है। दूसरी तरफ कूड़ा व बूढ़ी राप्ती नदी के पानी से उस्का ब्लाक के ताल नटवा, ताल भिरौना, थिवड़ ताल, रीवा मारू खर आदि गांव बुरी तरह घिरे हुए हैं। सिकहुला की हालत खराब है। देवलहवा गांव भी पानी से घिर गया है।
दूसरी तरफ बूढ़ी राप्ती नदी में आए बाढ़ से बांसी ब्लॉक के तीन गांव भगौतापुर पूर्वी, पश्चिमी व छोटकी डढीया गांव टापू में तब्दील हो चुके हैं। इसके बावजूद बाढ़ पीड़ितों तक राहत सामग्री नहीं पहुंची है। स्वास्थ्य विभाग की टीम भी नहीं पहुंची है। भगौतापुर के राम प्रसाद का कहना है कि तीन दिन से उनका गांव बाढ़ से घिरा है। गांव को जोड़ने वाली सड़क पर पानी बह रहा है, फिर भी नाव की व्यवस्था नहीं है। गुलाम हुसेन का कहना है कि बाढ़ के पानी से घिरे तीन दिन हो गए परंतु अब तक गांव मैरुंड घोषित नहीं किया गया। अर्जुन का कहना है कि तीन दिन से गांव के लोग बाढ़ की पीड़ा झेल रहे हैं। अब तक प्रशासन से राहत सामग्री नहीं मिली है। सीताराम का कहना है कि गांव में स्वास्थ्य विभाग की टीम नहीं पहुंची है। झगरू का कहना है कि गांव के साथ साथ आसपास का सीवान जलमग्न हो जाने से पशुओं के चारे का संकट हो गया है।
क्षेत्रीय सांसंद जगम्बिका पाल ने भी हालत को गंभीर बताया है। उन्होंने प्रशासन से बाढ़ग्रस्त क्षेत्र में राहत वितरण की प्रशासन से मांग की है। उन्होंने बताया की गाढ़ग्रस्त गांवों से नागरिकासें का पलायन भी शुरू है। इसलिए प्रशासन को सुरक्षा के लिए तेजी बरतनी होगी। पूर्व विधान सभाध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय ने भी बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में राहत व बचाव की जरूरत बताई है।