आल्हा हमारे उत्तर प्रदेश की संस्कृति का अभिन्न हिस्सा- श्रीष चौधरी
ब्लाक प्रमुख प्रतिनिधि जोगिया श्रीश चौधरी ने नाग पंचमी पर कराया ‘आल्हा’
अजीत सिंह
सिद्धार्थनगर। “आल्हा लोकगीत हमारे उत्तर प्रदेश के संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है। ढोलक, झांझर और मंजीरे की संगत में आल्हा गायक के ऊंचे स्वर में गाए गए वीर रस के गीतों से जोश और स्फूर्ति उत्पन्न होती है।”
उक्त बातें जोगिया चौराहे पर नाग पंचमी के पावन पर्व पर वर्षों से प्रचलित प्रारंभिक लोकगीतों का कार्यक्रम ‘आल्हा’ का शुभारंभ/ उद्घाटन करने के बाद जोगिया ब्लॉक प्रमुख प्रतिनिधि श्रीष चौधरी ने कहा। उन्होंने कहा कि आल्हा गीत सदियों से बुंदेलखंड की संस्कृति का हिस्सा रहा हैं।
आल्हा बुंदेलखंड के दो भाइयों (आल्हा और ऊदल) की वीरता की कहानियां कहते हैं। यह गीत बुंदेली और अवधी भाषा में लिखे गए हैं और मुख्यरूप से उत्तरप्रदेश के बुंदेलखंड और बिहार व मध्यप्रदेश के कुछ इलाक़ों में गाए जाते हैं। आल्हा और ऊदल बुंदेलखंड के दो शूरवीर भाई थे।
इस अवसर पर उदयपुर के ग्राम प्रधान गौरी, क्षेत्र पंचायत सदस्य परर्मेंद्र साहनी, सत्येंद्र यादव बड़कू, युवा मोर्चा के मंडल अध्यक्ष राहुल मिश्रा सहित सैकड़ो लोग उपस्थित रहे।