शहरी निकाय चुनाव का धुंधलका छंटा, सभी 11 सीटों पर तस्वीर हुई साफ
नगर पालिका सिद्धार्थनगर में मुकाबला बहुकोणीय, नपा बांसी व नगर पंचायत बढ़नी में सीधा तथा अन्य सीटों पर त्रिकोणीय संघर्ष के संकेत
नजीर मलिक
डुमरियागंज में सुशीला देवी के पक्ष में जनसभा करते मित्र संघ के अध्यक्ष
सिद्धार्थनगर। जिले की 11 शहरी निकायों में मंगलवार सांय चुनाव प्रचार थमने के बाद से चुनावों का धुंधलका साफ होने लगा है। इनमें कहीं दो दलों के बीच सीधा संघर्ष है तो कहीं त्रिकोणीय संघर्ष के आसार है। दो एक स्थानों में बहुकोणीय संघर्ष के भी संकेत मिल रहे है। इसके बावजूद आने वाले 20 घंटों में प्रत्याशीगण साम दाम दंड भेद के सहारे चुनावों का रूख अपने पक्ष में मोड़ने की जी तोड़ कोशिश में लगे है। इसके लिए अपने विरोधी पक्ष के नेताओं को भारी धन देकर उन्हें गुप्त रूप से अपने साथ जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। कपिलवस्तु पोस्ट की खोजबीन में पता चला है कि मुख्यालय के अनेक सपा समर्थक व नेता इस तोड़ फोड़ का शिकार हुए है।
नपा सिद्धार्थनगर, हारजीत का पता नहीं
होती थी भीषण मारकाट अति रण से छाया था, हारजीत का पता नहीं क्षण उधर विजय क्षण उधर विजय। सिद्धार्थनगर नगर पालिका में किसी कवि की यह पंक्तियां सही साबित हो रही है। सिद्धार्थनगर में कुल 6 प्रत्याशियों के बीच कड़ा मुकाबला है। जिसमें भाजपा के गोविंद माधव व सपा के रामसेवक लोधी आमने सामने हैं। इसके अलावा भाजपा से पिछला चुनाव जीते टिकट निवर्तमान अध्यक्ष श्याबिहारी जायसवाल टिकट कटने के बाद निर्दल मैदान में है तथा दो अन्य बागी उम्मीदवार राजू सिंह निर्दल व राकेश दत्त त्रिपाठी बसपा के सिम्बल से मैदान में उतर कर भाजपा को चुनौती दे रहे हैं। उधर सपा खेमे के करीबी और गत चुनाव में दूसरे स्थान पर रही फौजिया आजाद के पति गुलामनबी इस बार सपा के मतों में जबरदस्त सेंधमारी कर रहे हैं। इससे मतदाता 6 ताकतवर उम्मीदवारों के बीच में बंटा दिखता है। जिसमें हार जीत की कल्पना कर पाना कठिन है। जानकार बताते हैं कि आने वाले 20 घंटों में जो भी उम्मीदवार वोट को अधिक खरीदेगा या किसी भी हथकंडे से विरोधी खेमे में सेंधमारी कर सकेगा कल भाग्य का सूरज उसी के पक्ष में चमक सकता है। वैसे कागजी समीकरण तो सपा भाजपा में संघर्ष की कहानी कहते हैं लेकिन इस बार सभी बागियों के ताकतवर होने से हार जीत का संकेत दे पाना कठिन है।
डुमरियागंज में चुनाव त्रिकोणय मुकाबले की ओर
तहसील मुख्यालय और नगर पंचायत डुमरियागंज में इस समय भाजपा प्रत्याशी बीना देवी, बसपा की शाजिया अतीक और भाजपा के बागी श्यासुंदर अग्रहरि की माता सुशीला देवी जम कर लड़ रही हैं। दरअसल श्यामसुदर गत चुनाव में भी भाजपा के बागी उम्मीदवार थे और बहुत कम वोटों से बसपा से हरे थे। इस बार भी उनके समर्थन में गत चुनावों की भांति युवाओं की भीड़ उमड़ रही है। इधर मित्र संघ नाम के शक्तिशाली संगठन ने उन्हें अपना समर्थन देकर तथा उनके पक्ष में जनसभाएं कर उनके हौसले और बुलंद कर दिये हैं। भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में क्षेत्र के पूर्व विधायक राघवेन्द्र सिंह जम कर पसीना बहा रहे हैं। बीना देवी के पति मधुसूदन अग्रहरि की छवि स्वयं भी अच्छी है। लिहाजा दोनों के बीच वोट बराबर बंटे हुए हैं।
दूसरी तरफ गत चुनाव में बसपा से जीते जफर अहमद इस बार सपा में हैं। उनके स्थान पर उनकी अनुज बहू कहकशां परवीन चुनाव मैदान में हैं जबकि बसपा से युवा नेता अतीकुर्रहमान की पत्नी शाजिया अतीक की पत्नी चुनाव लड़ रहीं हैं। गत चुनाव में चेयरमैन रहे जफर अहमद ने जिस प्रकार जनता से संवाद तोड़ अपनी छवि खराब की है उससे उनकी अनुज बहू कहकशां परवीन मुसीबत में फंसी दिख रही हैं। क्षेत्र का मुस्लिम मतदाता भी बसपा के दलित वोटों को जोड़ कर अपना समीकरण बनाने मे जुटा हुआ है। इस प्रकार वर्तमान में संघर्ष बसपा की शाजिया, भाजपा की बीना देवी और भाजपा बागी की सुशीला देवी के बीच सिमटता नजर आ रहा है। सपा यहां चौथे स्थान पर नजर आ रही है।
भारत भारी में मुकाबला त्रिकोणीय हुआ
नगर पंचायत भारत भारी का चुनाव भी कम रोचक नहीं है। कहने को यहां अनेक उम्मीदवार है बसपा के अजीजुल्लह उर्फ डब्ल्यू भाजपा के चन्द्र प्रकाश वर्मा व निर्दल उम्मीदवार विजय पांडेय के बीच कांटे का मुकाबला होता दिख रहा है। सपा यहां त्रिकोण का चौथा कोण बनाने की कोशिश में है मगर उसे यहां सफलता नहीं मिल रही है। सपा की टिकट वितरण नीति के कारण यहां की मुस्लिम वर्ग अपनी पारम्परिक पार्टी सपा को छोड़ कर बसपा के मुस्लिम उम्मीदवार अजीजुल्लाह के साथ खड़ा हो चुका है।
जहां तक भाजपा का सवाल है यहां भाजपा में काफी भितरघात है। भारतभारी के प्रभावशाली भाजपा नेता विजय पांडेय की क्षेत्र में मजबूत पकड़ है। क्षेत्र के लोगों का मानना है कि ब्राह्मण और मुस्लिम प्रभाव वाले क्षेत्र में सपा की तरह जातीय गणित के उलट भाजपा ने भी चन्द्र प्रकाश वर्मा को उतार कर अपने परों में खुद कुल्हाड़ी मार ली है। जिससे भाजपा समर्थक मतदाता यहां दो खेमों में बंटे नजर आते है। स्थानीय राजनीतिक विश्लेषक शिवकुमार बताते हैं कि यहां मुख्य संघर्ष बसपा भाजपा और भाजपा के बागी उम्मीदवार के बीच है। लेकिन अंतिम दिन यदि धर्म के आधार पर मतों का ध्रुवीकरण होगा तो मुकाबला सीधे बसपा और भाजपा के बीच बन सकता है।
अन्य स्थानों पर कौन कहां
अन्य स्थानों में नगर पालिका बांसी से लड़ाई भाजपा और सपा की चमनआरा राइनी के बीच देखी जा रही है तो नगर पंचायत बढनी में भी सपा के रामनरेश उपाध्याय व भाजपा के विनीत कमलापुरी के बीच, नगर पंचायत उस्का बजार में सपा की पुनीता यादव तथा भाजपा के श्रीमती मंजू जायसवाल पत्नी हेमंत जायसवाल तथा शोहरतगढ़ में उमा अग्रवाल पत्नी रवि अग्रवाल, श्याम सुंदर चौधरी, अभय सिंह बबिता कसौधन सहित चार प्रत्याशियों के बीच सिमटती दिख रही है। लकिन अभी मतदान में 20 घंटे शेष है। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि कल के मतदान में चुनावी गणित का हिसाब किताब किसके पक्ष में जाता है।