नपा चुनाव की हलचलें फिर बढ़ीं, गोटियां बिछाने में जुटे भाजपा टिकट के दावेदार

March 14, 2023 1:51 PM0 commentsViews: 386
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नजीर मलिक

सिद्धार्थनगर। प्रदेश सरकार द्वारा नगर निकाय के चुनाव का  संकेत देते ही जिले की एक दर्जन नगर निकायों में राजनीतिक हलचलें फिर शुरू हो  गई है। चुनाव लड़ने का सपना संजो रहे तमाम दिग्गज दावेदार अपनी अपनी सियासी गोटियां फिट करने के लिए पुनः सक्रिय हो गये हैं। बता दें कि चुनाव पहले 12 दिसबर के पूर्व हो जाना था परन्तु न्यालय के आदेश से स्थगित करना पड़ा गया था। अब सरकार ने सारी प्रकियायें पूरी कर ली है और संकेत दिये हैं कि चुनाव अप्रैल के अंतिम या मई के पहले सप्ताह में सम्पन्न करा लिए जायेंगे।

चुनाव को लेकर सर्वाधिक हलचल सिद्धार्थनगर जिला मुख्यालय पर है। जिले की सबसे बड़ी नगर पालिका होने के कारण यह राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण होने के साथ आर्थिक दृष्टि से मलाईदार भी है। इसलिए इस निकाय पर चुनाव बाजों की खास नजर रहती है। मुख्यालय की नगर पालिका के अध्यक्ष पर कब्जा करने के दावेदारों में सर्वधिक होड़ भारतीय जनता पार्टी में है। इस पार्टी से लगभग एक दर्जन दावेदार टिकट पाने के अभियान में एक बार फिर से डट गये हैं।

कौन कोन हैं भाजपा से टिकट के दावेदार

नगर पालिका के निवर्तमान अध्यक्ष श्याम बिहारी जायसवाल समेत पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष एस पी अग्रवाल, युवा नेता राजू सिंह, राकेश दत्त त्रिपाठी, लाल श्रीवास्तव, फतेह बहादुर सिंह, गुड्डू त्रिपाठी आदि भाजपा नेता टिकट के लिए अपनी गोटी बैठाने में जोर शोर से लगे हुए है। एक अन्य उम्मीदवार और भाजापा के जिलाध्यक्ष गविंद माधव की भी तगड़ी दावेदारी है। मगर जानकारों का कहना है कि यदि सीट पिछड़ा वर्ग के लिए रिजर्व हुई तो वह लड़ेंगे। इसके अलावा भी कई नाम ऐसे हैं जो भाजपा से टिकट की कामना रखते हैं।

होना तो यह चाहिए था कि नगर पालिका  के हालिया नगर पालिका अध्यक्ष श्यामबिहारी जायसवाल सिटिंग अध्यक्ष होने के कारण टिकट के सबसे बड़े दावेदार होते, लेकिन उनकी दिक्कत है कि पार्टी की  लगभग पूरी जिला इकाई उनके असहमत है। उन्हें पार्टी की बैठकों में भी स्वीकार नहीं किया जा रहा है। इसकी गूंज प्रदेश तक पहंच चुकी है।इसलिए इन्हें फिलहाल टिकट की दौड़ में सबसे कमजोर माना जा रहा है। मगर राजनीति में और भी कई फैक्टर होते है। इसलिए इनकी दावेदारी को इकतरफा खारिज नहीं किया जा सकता।

दूसरे नम्बर पर भाजपा नेता एस पी अग्रवाल है। जो स्वयं व उनकी पत्नी दोनों ही नगरपालिका के अध्यक्ष रह चुके हैं। जातीय समीकरण में भी वैश्य वर्ग को होने के कारण उनका दावा बहुत मजबूत है। वह आर्थिक रूप से भी सक्षम होने के अलावा जनता में लोकप्रिय भी है। सभी को साथ लेकर वलने में उन्हें कुशलता हासिल है। नगर अध्यक्ष के दो दो कार्यकाल में वे इसे साबित भी कर चुके है। उसके अलावा गविंद माधव पार्टी के जिलाध्यक्ष है। लोगों को ऐसा नहीं लगता कि  पार्टी उन्हें सामान्य सीट से चुनाव लड़ा कर कोई खतरा उठाना चाहेगी। वैसे वह पार्टी के बड़े नेता रहे पूर्व मंत्री स्व. धनराज यादव के पुत्र भी है अतः उनके दावे को भी कमजोर नहीं समझा जा सकता।

जहां तक राजू सिंह का सवाल है, वह सदर ब्लाक के प्रमुख रहे है मगर उनके साथ जातीय समीकरण की समस्या है, मगर वह पिछले 2 साल से नगर क्षेत्र का लगातार दौरा कर रहे है और युवाओं मे काफी लोकप्रिय है। राकेश दत्त त्रिपाठी छात्र जीवन से राजनीति में है और वह अपने गृह क्षेत्र से बीडीसी भी रह चुके है। भाजपा आम तौर से शहरी निकाय में वैश्य वर्ग को महत्व देती है। लकिन कभी कभी राजनीतिक दबाव व अन्य हालात को देख कर भी टिकट तय कर देती है। ऐसे में उन दोंनों की दावेदारी हालात पर ही निर्भर है।

 

 

 

 

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