इटवाः टिकट के दावेदारों में सर्वाधिक मारामारी भाजपा व सपा में, कांग्रेस में भी हलचलें बढ़ीं

April 15, 2023 1:28 PM0 commentsViews: 775
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नजीर मलिक


सिद्धार्थनगर। नगर पंचायत चुनाव की अधिसूचना जारी होने के बाद इटवा व बिस्कोहर में संभावित उम्मीदवारो में चुनावी सरगर्मी बढ़ गई है। यहां सबसे अधिक भीड़ सपा व भाजपा में देखी जा रही है। वैसे बसपा व कांग्रेस पार्टी से भी लडऩे वाले उम्मीदवारों की संख्या कम नहीं है। लेकिन इन दोनों दलों में संभावित उम्मीदवारों की संख्या सपा व भाजपा से कम है।

इटवा व बिस्कोहर पहली बार नगर पंचायत बना है। यहां के मतदाता पहली बार नगर पंचायत अध्यक्ष व सभासद के लिए मतदान करेंगे। मतदान करते समय इन लोगों का ध्यान पानी की निकासी व जर्जर तारो पर अवश्य रहेगा। कारण दोनों न्याय पंचायतों में घरों व बारिश के पानी की निकासी एक लंबे अरसे से प्रमुख समस्या बनी हुई है। ऐसे में जिन उम्मीदवारों पर इन कार्यों को कराने पर आमजनों को अधिक भरोसा होगा। आमजन उसी को अपना अमूल्य वोट करेंगे। नगर पंचायत इटवा व बिस्कोहर में ऐसे उम्मीदवारों की संख्या अधिक है, लेकिन दलों के आर्शीवाद के बिना चनावी वैतरणी पार करने वाले उम्मीदवार न के बराबर है।

सपा का हाल

नगर पंचायत इटवा व बिस्कोहर में कई उम्मीदवार हैं। लेकिन निर्दलीय चुनाव लड़कर जीत दर्ज कराने वाले उम्मीदवार कम ही दिखाई पड़ रहे हैं। यही कारण है कि पार्टी से टिकट की लालसा रखने वाले उम्मीदवारों की संख्या सबसे अधिक है।इसमें सबसे अधिक भीड़ सपा व भाजपा में है। सपा के एक नेता राजेन्द्र जायसाल ने तो नगर पंचायत की घोषणा के बाद ही से आमजनो में अपनी पैठ बढ़ा दी थी। गरीबों में लोगों के सुख दुख में शामिल होने, कमजोर स्थिति वालों की आर्थिक मदद करने का सिलसिला तभी से प्रारंभ है। इनके मुकाबले एक और अन्य उम्मीदवार रज्जन पांडे भी टिकट के लिए अश्वस्त दिखाई देते हैं। रज्जन पाण्डेय की छवि एक ईमानदार समाजसेवी के रूप में है। जनता में एक अच्छी पकड़ है। तीसरे दावेदार एश्वर्य पांडेय का पलड़ा कम भारी नहीं है। वे भी माता प्रसाद पांडेय की काफी करीबी मानी जातीं है। क्षेत्र के वरिष्ठ नेता ठाकुर प्रसाद तिवारी के बेटी हैं। जिनका क्षेत्र में एक बड़ा जनाधार है।

भाजपा की हलचल काफी तेज

यही हाल भाजपा में भी है। यहा दर्जनों सम्भावित उम्मीदवारो में जहां दो उम्मीदवारों को आमजन बहुत ही मजबूत मान रहे हैं। अनिल जायसवाल उपनगर के बडे व्यवसाई घराने से हैं। वे पार्टी के पुराने मददगार रहे हैं। इसके अलावा विकास जायसवाल भी वैश्य परिवार से ताल्लुक रखते हैं। मगर उनका महत्व पूर्व मंत्री सतीश दिवेदी के बेहद करीबी होना है। भाजपा कार्यकर्ता भी उन्ही के पक्ष में नजर आरहे हैं। लेकिन मतदताओं पर प्रभाव अनिल जायसवाल का माना जाता है। इन दोनों से अलग पार्टी के पुराने कार्यकर्ता शिवकुमार वर्मा भी है। उन्होंने पार्टी की बड़े सेवा की है। लकिन बदले राजनतिक दौर में खांटी कार्यकर्ता को महत्व मिलेगा या नही, यह देखने की बात होगी। इसके अलावा दो तीन नाम और भी प्रयासरत हैं।

कांग्रेस में सिर्फ दो में फैसला

जहां तक कांग्रेस का सवाल है तो कांग्रेस से 3 बार जिला पंचायत सदस्य रहे जमीरुद्दीन खान और नादिर सलाम दावेदारी ठोक रहे हैं। दोनों ही लोग लगभग 1 वर्ष से क्षेत्र में मेहनत कर रहे है। जमीरुद्दीन खान की मजबूती यह है की उनके पुराने जिला पंचायत क्षेत्र के अधिकांश गांव इस नगर पंचायत क्षेत्र में लगे हैं और पश्चिम इनका गढ़ माना जाता है। लेकिन नादिर सलाम पिछले दो वर्षों से पार्टी में बेहद सक्रिय देखे जा रहे हैं। यही उनका प्ल्स प्वाइंट भी है।

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