सदर सीट पर बढ़ रही भाजपा, डुमरियागंज में लड़ाई त्रिकोण व भारतभारी में भाजपा मुश्किल में
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। सदर की नगर पालिका में चुनाव अब नया मोड़ लेता दिख रहा है। भितरघात व तीन तीन बागी उम्मीदवारों से परेशान भाजपा अब गहरे संकट से निकलती दिख रही है। पिछले दिनों में प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ व ब्रजेश पाठक की जनसभा के बाद अब भाजपा के पक्ष में माहौल बनता दिख रहा है। यही नहीं उसके बिखरे वर्कर भी एकजुट होते देखे जा सकते है। ऐसे में भाजपा के जिलाध्यक्ष व नगर पालिका प्रत्याशी गोविंद माधव के हौसले बुलंद हो गये हैं और वह मुख्य संघर्ष में खुद को अग्रिम कतार में खड़ा महसूस कर रहे हैं।
सदर क्षेत्र में भाजपा से बगावत कर बसपा प्रत्याशी बने राकेश दत्त त्रिपाठी प्रारंभिक दौर में ब्राहम्ण समाज में तेजी से अपनी पैठ बना रहे थे। मगर अब राजनीतिक जानकार बताते हैं कि उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक के दौरे के बाद न केवल उनकी बढ़ती पैठ पर विराम लगा है बल्कि भाजपा के कुछ पारंपरिक मतदाता पुनः भाजपा में वापस आते दिख रहे हैं। यही नहीं योगी जी के भाषण ने भी मतदाताओं पर अपना प्रभाव छोड़ा है। नगर पालिका के पिछले चेयरमैन रहे श्यामबिहारी जायसवाल भी भाजपा के बागी उम्मीदवार के रूप में दमदारी से चुनाव लड़ रहे हैं। उनकी पकड़ वैश्य मतों के एक भाग पर जरूर है मगर नये परिसीमन में ग्रामीण मतदाता आ जाने से वैश्य मत बहुत निर्णायक नहीं रह गये हैं। वैश्य मतों को एक बड़ा भाग आज भी अपने पारंपरिक दल भाजपा के साथ मजबूती से खड़ा दिख रहा है।
तीसरे बागी उम्मीदवार राजू सिंह राजपूत हैं। जिनका मत कम है लकिन वे भाजपा को नुकसान करने की अपेक्षा मुस्लिम मतों को ज्यादा तोड रहे हैं। हिंदू और मुस्लिम मतदाताओं में बराबर पैठ बनाने के कारण उसका नुकसान भाजपा को अधिक नही पड़ेगा लेकिन पिछले चार साल से नगर पालिका क्षेत्र में उनके निरंतर कड़ी मेहनत और लगन से हर बूथ पर सपोर्टर तैयार दिख रहे है इसके आलावा उनके पास युवाओं की फ़ौज भी है जिसकी बानगी उनके पर्चा दाखिला में देखने को मिला था।
इसके अलावा सपा प्रत्याशी रामसेवक लोधी और आजाद समाज पार्टी के उम्मीदवार गुलामनबी आजाद के बीच मुस्लिम मतों का जबरदस्त विभाजन देखा जा रहा है। पिछले चुनाव में उनकी पत्नी फौजिया आजाद चुनाव लड़ी थीं और दूसरे नम्बर पर रही थीं। इस लिहाज से मुस्लिम मतों में विभाजन इतना तीव्र है कि शहर का 10 प्रतिशत मुस्लिम मत निर्रथक साबित होता नजर आ रहा है। ऐसे में जानकार यही बताते हैं कि आने वाले 72 घंटों में भाजपा अपने समीकरण का आधार बहुत ठोस धरातल पर खड़ा करने में सफल हो सकती है। सो सभी उम्मीदवारों के लिए आने वाले 72 घंटे बेहद महत्वपूर्ण है।
नगरपंचायत डुमरियागंज में हालात उलझे
नगर पंचायत डुमरियागंज में चुनावी हलचल अपने चरम पर पहुंच चुकी है। यहां चार प्रमुख उम्मीदवारों में एक एक मत के लिए भयंकर मारकाट मची है। जिससे चुनावी परिदृश्य अभी भी धुंधला नजर आ रहा है। यहां भाजपा के बागी नेता श्याम सुंदर अग्रहरि की मां सुशीला देवी के कारण लडाई बहुत रोमांचक दौर में है। दरअसल श्याम सुंदर गत चुनाव में एक हिंदू संगठन के उम्मीदवार थे और कठिन लड़ाई में मात्र कुछ मतों से हारे थे। अपनी हार के अलावा उन्होंने भाजपा की हार के साथ बसपा के जीत की पटाकथा भी लिख दी थी। इस बार वे जीत के लिए पूरी ताकत से लड़ाई लड़ रहे हैं। इसलिए भाजपा के अधिकृत उम्मीदवार बीना देवी (भाजपा नेता मधुसूदन अग्रहरि की पत्नी) का चुनाव फंसा हुआ दिखता है। दूसरी तरफ गत चुनाव में बसपा से जीते जफर अहमद इस बार सपा में हैं। महिला सीट होने के कारण उन्होंने अपनी अनुज बहू कहकशां परवीन को मैदान में उतरा है। लकिन जफर चैयरमैन रहते हुए जिस प्रकार अलोकप्रिय हुए थे उससे इस बार उनका चुनाव रंग में नहीं आ पा रहा है। अगर उनका चुनाव चढ़ा तो यह बसपा केलिए खतरनाक हो सकता है।
दूसरी तरफ बसपा नेता अतीकुर्रहमान की पत्नी प्रत्याशी शाजिया अतीक डुमरियागंज की बसपा प्रत्याशी हैं। उनके पति अतीकुर्ररहमान की छवि तेज तर्रार नेता की है। वह अपने सैकड़ों समर्थकों के साथ दिन रात नगर के विभिन्न वाडों के चक्कर काट रहे हैं । मुस्लिम बाहुल्य इस निकाय में मुस्लिम मत अच्छे खासे हैं। वह बसपा के साथ है।फिलहाल जो तसवीर उभरी है उसमें बसपा भाजपा व भाजपा के बागी उम्मीदवार के बीच कांटे का संघर्ष दिख रहा है। श्याम सुंदर अग्रहरि के साथ चल रही युवाओं की फौज से अन्ततः भाजपा की मश्किलें बढ़ती जा रही है तो सपा प्रत्याशी कहकशां परवीन यहां मुख्य संघर्ष में आने के लिए अभी संघर्ष कर रही है।फिलहाल इस नगर पंचायत में संघर्ष त्रिकोणीय बनाता दिख रहा है।
भारत भारी में सीधे संघर्ष के आसार
नगर पंचायत भारत भारी का चुनाव भी कम रोचक नहीं है। कहने को यहां अनेक उम्मीदवार है बसपा के अजीजुल्लह उर्फ डब्ल्यू भाजपा के चन्द्र प्रकाश वर्मा व निर्दल उम्मीदवार विजय पांडेय के बीच कांटे की टक्कर चल रही है। बसपा उम्मीदवार अजीजुल्लाह के पक्ष में दलित और मुस्लिम वोटरों में भारी उत्साह है। सपा के विजय अग्रहिर यहा मुस्लिम मतों पर दावा जरूर कर रहे हैं, परन्तु टिकट वितरण को लेकर यहां मुसलमानों में सपा के प्र्रति बेहद गुस्सा है।जिसका सीघ लाभ बसपा के मुस्लिम प्रत्याशी को मिलता दिख रहा है। अन्य वर्गो में अजीजुल्लाह को अपनी बेहतर छवि के आधार पर वोट मिलने की संभावना है।
दूसरी तरफ भाजपा में जबरदस्त भितरघात है। क्षेत्र के प्रभावशाली भाजपा नेता विजय पांडेय की क्षेत्र में काफी धाक है। ब्रह्मण और मुस्लिम प्रभाव वाले क्षेत्र में भाजपा ने जाने क्या सोच कर भाजपा से चन्द्र प्रकाश वर्मा को उतार दिया।जिससे भाजपा समर्थक मतदाता यहां दो खेमों में बंटे नजर आते है। क्षेत्र की राजनीति को गहराई से जानने वालों की मानें तो यहां मुख्य संघर्ष बसपा भाजपा और भाजपा के बागी उम्मीदवार के बीच है। इस प्रकार बसपा क अजीजुल्लाह उर्फ डब्ल्यू भाजपा के चन्द्र प्रकाश वर्मा और भाजपा बागी विजय पांडेय के बीच का यह संघर्ष आगामी दो दिनों में क्या गुल खिलायेगा या आगे दो दिनों में ऊंट किस करवट बैठता है यह देखना शेष है।