नहीं रहे इस्लामिक स्कॉलर मौलाना मुख्तार मदनी, इस्लामिक जगत में शोक
सगीर ए खाकसार
बढ़नी, सिद्धार्थ नगर।अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त इस्लामिक स्कॉलर मौलाना मुख्तार अहमद मदनी अब हमारे बीच नहीं रहे। वो पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे। उनका इंतकाल मुम्बई में इलाज के दौरान सोमवार को सुबह दस बजे हुआ। वो करीब 75 वर्ष के थे।
नेपाल के प्रसिद्ध इस्लामिक शिक्षण संस्थान जामिया सिराजुल उलूम झंडानगर में आप ने लंबे समय तक इस्लामिक स्टडीज़ के विशेषज्ञ के रूप में अपनी सेवाएं दीं थीं। अरब दुनिया में भी उन्हें बड़ा मुकाम हासिल था। इस्लामिक तालीमी मैदान में
उनकी सेवाओं के मद्देनज़र उन्हें बड़े सम्मान से देखा जाता था।
उनके निधन की खबर मिलते ही भारत और नेपाल के कस्बाई इलाके में शोक की लहर दौड़ गयी।आसपास के क्षेत्रों में गम का माहौल है। उनकी नमाज़े जनाज़ा कोसा, मुम्ब्रा(महाराष्ट्र)के कब्रिस्तान में अदा की जाएगी।
मौलाना मुख्तार मदनी मूल रूप से सिद्धार्थ नगर के झकहिया के निवासी थे।उनके निधन पर मौलाना शमीम अहमद मदनी, डॉ अब्दुल गनी अलकूफ़ी, मौलाना मशहूद नेपाली, डॉ अब्दुल बारी खान, मौलाना इब्राहिम मदनी, मौलाना मन्नान सल्फी, अब्दुसबुर नदवी, मौलाना अब्दुल अज़ीम,आदि ने गहरा दुख व्यक्त करते हुए रंजो गम का इज़हार किया है।