प्रतिष्ठा की जंग में फंसती दिख रहीं महिला आयोग की सदस्य जुबैदा चौधरी
नजीर मलिक
समाजवादी पार्टी की बड़ी नेता जुबैदा चौधरी इस बार प्रतिष्ठा की जंग में फंस गई हैं। आम हालात में उनका चुनाव हारना जीतना एक सामान्य बात होती, लेकिन इस बार महिला आयोग की सदस्य होने की वजह से, यह चुनाव जीतना उनके लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है।
हालांकि क्षेत्र संख्या दो में उनका व्यापक प्रभाव है, लेकिन इस बार उनके अपने ही उनकी राह का रोड़ा बने हुए है। समाजवादी पार्टी के नेता रमजान अली की पत्नी और सपा की समर्थक रूपा वर्मा भी यहीं से किस्मत आजमा रही हैं।
जुबैदा चौधरी के मुकाबले में आम तौर से सपा समर्थक माने जाने वाले टीएन खान उर्फ भोला भाई अपनी बीबी और राम कृपाल पांउेय अपनी मां को चुनाव लडा रहे हैं। बसपा नेता फिरोज अहमद की मां और समाज सेवी राम समुझ चौधरी की पत्नी भी उनके कड़े प्रतिद्धंदी हैं।
जुबैदा चौधरी के लिए कृपाल पांडेय, फिरोज अहमद या राम समुझ चौधरी बहुत सरदर्द नहीं है। उनकी असली दिक्कत रमजान अली,भाई और रूपा वर्मा हैं। दरअसल रूपा वर्मा का परिवार समाजवादी रहा है। रमजान अली स्व्यं सपा नेता हैं। भोला भाई नेता तो नही है, लेकिन उनका जनाधार भी सपा समर्थित वोटों में ही है।
अगर यह समीकरण देखा जाये तो जुबैदा चौधरी संकट में घिरी है, लेकिन उन्हें अपनी 35 साल की राजनीति पर भरोसा है। उनका कहना है कि उन्होंने क्षेत्र में दिन रात चल कर जनता की सेवा की है। इसलिए जनता उनको समर्थन जरूर देगी।
दूसरी तरफ विरोधियों ने उनके महिला आयोग का सदस्य होने को मुदृदा बनाया हे। प्रतिद्धंदी कहते है कि अखिलेश सरकार ने उन्हें महिला आयोग का सदस्य बना कर उनके लिए वेतन भत्ते और गाड़ी की व्यवस्था कर दी। अब उन्हें इस छोटे से पद का चुनाव लड़ने की क्या जरूरत आन पड़ी।