नवोन्मेष नाटृयोत्सवः छठी शाम को पेश हुई मजहबी बांधों को तोड़ती मुहब्बतों की रवानियां
नजीर मलिक
पाकीजा जज्बे और मुहब्बत की रवानियां मजहबी बांधों को तोड़ कर मंजिल कैसे हासिल करती हैं, यह मैसेज कल दिया नवोन्मेष नाटृयोत्सव की छठी शाम को खेले गये नाटक-एक कथा एक कहानी में।
नाटक की शुरुआत में स्कूल में दाखिले के समय एक छात्र का यह बताना कि उसके मां बाप अलग अलग धर्मों के हैं, के उपजे सवालों ने दर्शकों को खूब झकझोरा। एक बेरोजगार बेटेे के प्रति बाप की निराशा और उस निराशा में भी छुपे अदभुत प्रेम की जबरदस्त प्रस्तुति कर दिल्ली की टीम ने खूब तालियां बटोरीं।
नाटक से मैसेज दिया गया कि कोई भी धर्म जाति मानवता से बढ़ कर नहीं है। यही नहीं यह भी बताया गया कि पाकीजा महुब्बत के बीच कोई शर्त नहीं होती हैं। प्रेम लोगों को एक दूसरे से जोड़ कर उन्हें असल जिंदगी जीना सिखाता है। प्रेम की भावना सदा मजहबी सियासत से दूर रहती है।
नांटक की शुरुआत भी तूफानी अंदाज में हुई। दर्शक दीर्घा से गुजरते नौजवान कलाकारों की टोली ने डफली की ताल पर- बजी डुगडुगी नाटक वाले आये है, गीत के साथ मंच की तरफ बढ़े, तो लगा कि तो लगा जैसे मुठृठी भर घुड़सवार विश्व विजय के लिए निकल पड़े हों।
उनका आत्मविश्वास ही उनके नाटक के सफल होने का सूचक था। कहानी आगे बढ़ी ता अंतरधार्मिक शादी से उपजे सवाल, बेरोजगार बेटे के लिए ताने उलाहने मुहब्बत, सब का खाका अत्यंत सजीवता के साथ खिंचता गया। मंच पर बत्ती गुल होने की हर प्रक्रिया के दौरान तालियों की गड़गड़ाहट कलाकारों के खाते में जुड़ती गईं।
कार्यक्रम की शुरुआत दीप ज्जवलन से हुआ जिसमें उप जिलाधिकारी रजित राम, नगरपालिका अध्यक्ष मोहम्मद जमील सिदृदीकी जागरण के ब्यूरो प्रभारी रत्नेश षुक्ल कपिलवस्तु डाट काम के संपादक नजीर मलिक, पूर्व डीएसओ राकेश ऋशभ शामिल रहे।
इससे पहले नवोन्मेष के अध्यक्ष विजित सिंह ने नाटक की पुष्टिभूमि और कलाकरों के बारे में जानकारी दी। उनके साथी मुनीश ज्ञानी, राणा प्रताप सिंह, सन्नी कसौधन आदि का सहयोग काबिले तारीफ रहा। आज नाटक का आखिरी दिन होगा।