नेशनल हाइवेः यहां सड़क में गड्ढा नहीं, खुद गड्ढे में है सड़क, गिरते और मरते रहें आप सब
— अखिर कहां चले गये मरम्मत के 10.26 करोड़ रुपये, पैसा बंदरबांट का शिकार हो गया?
— जून महीने में सड़क का समतलीकरण व लेपन हुआ, जुलाई में सड़क फिर टूट गई
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। राष्ट्रीय राजमार्ग का निर्माण करने वाले नेशनल हाईवे अथारिटी की हैसियत धन के स्वामी कुबेर से कम नहीं है, मगर भ्रटाचार और कमीशनबाजी ने इसकी बनाई जा रही सड़कों की हालत बिगाड़ कर रख दी है। अब यह कहा जा रहा है कि एनएच सिद्धार्थनगर में एेसी सड़क बना रहा है, जिसे देख कर पता नही चलता कि सड़क गड्ढे में बन रही है या पूरी सड़क ही गड्ढे में है।
एनएच 233 के नाम से बन रही इस सडक का सिद्धार्थनगर का हिस्सा अभी निर्माणाधीन है, लेकिन हालत यह है कि इसका नवनिर्मित हिस्सा अभी से जर्जर हो गया है। बचे हुए हिस्से को समतल और लेपन कर चलने लायक बनाने के लिए के लिए पिछले महीने सडक पर लगभग 10.36 करोड़ खर्च कर दिया गया। लेकिन इस रूपये का काेई असर देखने को नहीं मिला। हालत यह है कि रूधौली पार करते ही सिद्धार्थनगर की सीमा से सडक टूटी हुई दिखाई देने लगती है। जो बांसी के पास तिलौली से विकराल हो जाती है।
बांसी से सिद्धार्थनगर के बीच की हालत और बदतर है। सड़क पर बड़े बड़े तालाबनुमा गड्ढे बने हैं। आये दिन यहां दुर्घटना होती है। पछले तीन महीनों में कम से कम चार लोगों की जान जा चुकी है, घायलों की तादाद तो दर्जनों में हैं। लोग सरकार और सांसद को कोस रहे हैं। एक बार तो लोगों ने एच के प्रोजेक्ट मैनेजर तक को बंधक बना कर गुस्सते का इजहार किया, लेकिन हालत में कोई सुधार न हुआ। कई बार तोवे डीएक के बुलावे को भी इग्नोर कर देते हैं।
आम जनता चिल्ला कर जुमले उछाल रही है कि इस मार्ग के निर्माण का कमीशन टाप टू बाटम तक पहुंचाया जा रहा है, इसलिए जनता के शिकायतों की कोई सुनवाई नहीं हो रही। अपना दल युवा के प्रदेश अध्यक्ष हेमंत चौधरी तो साफ आरोप लगाते हैं कि यह सड़क रानीतिज्ञों और अफसरों के लिए कामधेनु गाय बन चुकी है। उनका दावा है कि इस सड़क पर अब तैक सैकड़ों लोग गिर कर जान गंवा चुके हैं, मगर सरकार के कानो पर जू नही रेंगे रहा है।