नौजवानों की हिम्मत ने आग से बरबाद गांव में बांटी खुशियां, बुधवार से निकलेंगी पांच लड़कियों की डोलियां

April 26, 2016 8:30 PM0 commentsViews: 390
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नजीर मलिक

लड़कियों के परिजनों व मदद के सामान के साथ संस्था प्रमुख धीरज गुप्ता

लड़कियों के परिजनों व मदद के सामान के साथ संस्था प्रमुख धीरज गुप्ता

सिद्धार्थनगर। सदर तहसील में आग से तबाह हो चुके मधवापुर गांव में कुछ उत्साही नौजवानों ने ऐसा समां बांधा कि लोग वहां होने वाली पांच लड़कियों की शादी में मदद के लिए उमड़ पड़े। इसके बाद तो बरबाद गांव वालों के गम के आंसू खुशियों के चिराग में तब्दील हाे गये।

मधवापुर गांव में एक सप्ताह पहले भयानक आग लगी थी। गांव के 160 मकान जल कर खाक हो चुके थे। गांव में पांच लड़किया के शादी की तारीख तय थी। गांव वाले दाने दाने को मोहताज थे। शादी तो उनकी कल्पना में भी न थी। गांव भर में हर तरफ गम का माहाैल था। लोग समझ नहीं पा रहे थे कि जहां चंद रोटी का इंतजाम नहीं है, वहां बारात का पेट कैसे भर सकेंगे।

भारत की पुत्री जशोदा, प्रेमशंकर की पत्री रीना, अब्दुल हई की पुत्री रेहाना, पिटू की पुत्री पूनम और एक अन्य की बारात 27 अप्रैल से चार मई के बीच आने वाली थी। बारात का स्वागत कैसे होगा, लड़कियों की विदाई के सामान कहां से आयेगे, यह चिंता सभी को मारे डाल रही थी। कैसे होगा बारात का स्वागत?

धीरज की टीम ने जगाया जोश

अचानक उस गांव के लिए कुछ करने का बीड़ा उठाया साहित्यक, सामाजिक संस्था ष”नवोन्मेष” के युवाओं ने। धीरज गुप्ता के नेतृत्व में उनकी टोली गांव पहुंची। वहां लड़कियों के परिजनों की हालत देखा और उनके लिए कुछ करने का वादा किया।

एक नवगठित और संसाधन विहीन संस्था के युवाओं ने आखिर कामयाबी हासिल की। किसी तरह से कुछ मदद लेकर वह पहुंच गये मधवापुर गांव। इस टीम ने पांचों लड़कियों के पिताओं को साठ-साठ किलो अनाज, एक-एक पंखा, साड़ी, बर्तन के अलावा शादी में दिया जाने वाला कोइछा भी सौंपा।  एक मुस्लिम लड़की को नकाब भी दिया। इसके बाद तो वहां का माहौल बहत मार्मिक हो गया।

फिर तो जाग गई इंसानियत

युवाओं की यह निस्वार्थ सेवा देख कर लोगों में इंसानियत जगा उठी। कुछ और लोग आगे आ खड़े हुए। बर्डपुर कस्बे के व्यवसाई विश्वेसर अग्रहरि ने सभी बच्चियों के लिए बिस्तर के सेट, ग्राम प्रधान इंजीनीयर प्रदीप चौधरी ने सभी के लिए श्रृंगार का सामान, कपड़े सूटकेस आदि की व्यवस्था किया।

इसके बाद तो आस पास के गांवों के लोग मदद के लिए टूट पड़े। कपड़े, अनाज, नकदी आदि जिसकी जा सामर्थ्य दी लड़कियों के परिजनों को पहुंचाने लगा। मदद देने वालों में हरिश्चन्द्र अग्रहरि राधेश्याम जायसवाल वृक्ष, विष्णु, उमाशंकर अ्रग्रहरि अजय अगहरि आदि ने यथा शक्ति बहुत कुछ दिया।

बुधवार को आयेगी पहली बारात

खबर है कि इनमें से एक लड़की की बारात गांव में कल आयेगी। शेष बारातें 28 अप्रैल और 4 मई को आयेंगी। खबर लिखने तक गांव में मदद करने वालों का पहुंचना जारी है। रोते कलपते मधवापुर गांव में जब कोई मदद को पहुंचता है तो वहां आंसुओं के चिराग जलने लगते हैं।

इस बारे में संस्था प्रमुख धीरज गुप्ता का कहना है कि अगर उनके साथी रवीन्द्र मिश्र, शिव गुप्ता, विक्की गुप्ता, कृष्णा वस्त्र विभाग, प्रमोद मिश्रा, राहुल मिश्रा, चंदन मिश्रा, हजरत अली आदि न रहे होते तो शायद वह कुछ नहीं कर पाते।

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