नवोन्मेष नाटय उत्सव ने पहले दिन ही बांधा समा, “बयार” नाटक से दिलाई पुरानी यादें
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। नवोन्मेष नाटय उत्सव श्रंखला 2018 ने अपने पहले दिन ही मंचित नाटक “बयार” ने समां बांध दिया। इस नाटक ने पुराने दिनों की याद ताजा करते हुए लोक कलाओं, नाच गानें और मंडली की विधाओं को उकेर के रख दिया। नाटक में लोकगीतों के माध्यम से भोजपुरी भाषा की मिठास भी महसूस कराने का प्रयास किया गया। नाटक देखने के लिये बहुसंख्य भीड जुटी रही। कार्यक्रम में मय पत्नी डीएम कुणाल सिल्कू, एसपी धर्मवीर सिंह, सीडिओ हर्षिता माथुर नाटक समाप्ति तक मौजूद रहे।
नवोन्मेष के अध्यक्ष विजित सिंह द्वारा रचित इसे श्रंखला में आई दिल्ली की टीम ने नाटय मंचन के जरिये बताया कि बयार यानि की हवा ऐसे टोली की कहानी है जो भावनात्मक रूप से लोक कलाओं, पारम्परिक विधाओं से जुडे है। वो नांच गाने के अलावा कुछ सीखे ही नही, इनके पास कुछ नहीं है।मण्डली ही एक मात्र ठीहा है। उन्हें आभास ही नही था कि मण्डली और ये विधायें ऐसे बिखर जायेंगी जैसे पतझड में से गिरे सूखे पत्तों को कोई चहल दे।
कहानी का सरांश
नाटक के निर्देशक रौनक खान के मुताबिक एक गांव में नाच मण्डली आई है जो कुछ दिन यहीं रूक कर आसपास के गांव में अपना प्रोग्राम करेगी। उसे गांव में बाला नाम का एक लडका जिसे नांच गाने का बहुत शौक है, इस दौरान बाला का मेलजोल मण्डली से बढता है, लेकिन बाला के पिता गिरोधर मिश्रा नाच गाने के घोर विरोधी हैं। अक्सर बाला को नाच गाने के लिये मार भी पडती रहती है। इन सब बातों से तंग आकर बाला घर छोड कर मण्डली के साथ भाग जाता है फिर कभी वापस न आने के लिये। फिर शुरू होता है नाच गाने का यायावरी भरा जीवन।
नाटक में प्रमुख रूप से नेहपाल गौतम, मनोज पंडित, दिव्यांशू सिंह, अभिमन्यू यादव, आकाश सिंह, मनीषा, सलीम, मोहित, दीपक राणा, रूपेंद्र सिंह संधू, हर्ष निर्माण, राहुल क्लार्क, रणजीत कुमार, शालिनी, माधवी शर्मा, मनीषा, उसामा बिन जहीर शामिल रहे