नेहरू के बलिदानों की नींव पर खड़ा भारत का लोकतंत्र- अशोक कुमार पांडेय

December 7, 2022 11:21 PMComments Off on नेहरू के बलिदानों की नींव पर खड़ा भारत का लोकतंत्र- अशोक कुमार पांडेयViews: 223
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अजीत सिंह 

सिद्धार्थनगर। भारत के लोकतंत्र और आधुनिक भारत के निर्माण में जवाहरलाल नेहरु के त्याग और बलिदान की ईंटें लगी हुईं हैं। नेहरू के बलिदानों की नींव पर भारत का लोकतंत्र खड़ा है। नेहरु को जानने के लिये तथ्यात्मक किताबों और लेखों सहित खुद नेहरु द्वारा लिखी किताबें जैसे डिस्कवरी ऑफ़ इंडिया, लेटर्स टू नेशन जैसी किताबों को पढ़ना चाहिये। देश की जनता के सामने नेहरू को बदनाम करने वाले लोगों को पहले नेहरू के बारे में गंभीरता पूर्वक जानकारी हासिल करनी चाहिए।

उक्त बातें विख्यात लेखक इतिहासकार अशोक कुमार पांडेय ने कहीं। वह यहां बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर सभागार में ‘पण्डित जवाहरलाल नेहरू भारतीय चेतना के शिखर पुरूष’ विषयक व्याख्यान में अपने विचार रख रहे थे।  कार्यक्रम का आयोजन युवा कांग्रेस सिद्धार्थनगर के  जिलाध्यक्ष डॉ. अरविन्द शुक्ला  ने किया था परन्तु आयोजन विशुद्ध रुप से गैरराजनीतिक था। उन्होने राज कौल से लेकर जवाहरलाल नेहरू तक नेहरु परिवार की उत्पत्ति  एवं मोतीलाल नेहरु से जवाहरलाल द्वारा भारत के स्वतन्त्रता संग्राम में योगदान के साथ ही जवाहरलाल नेहरु के भारत निर्माण की नीतियों और सोच पर विस्तार से बताया।

देर शाम कि चले आयोजन में इतिहासकार अशोक पाण्डेय ने कश्मीर सहित विभिन्न विवादित विषयों के बारे भी विधिवत तथ्य परक जानकारियों से लोगों को अवगत करवाया। उन्होने कहा कि भारत के लोकतंत्र और आधुनिक भारत के निर्माण में जवाहरलाल नेहरु के त्याग और बलिदान की ईंटें लगी हुईं हैं।

उन्होनें कश्मीर के भारत में विलय मे नेहरु की दमदार भूमिका और निर्णय, सरदार पटेल और नेहरु के बीच आत्मीय और और आदरपूर्ण सम्बंध, नेहरु द्वारा सुभाष चन्द्र बोस के परिवार का ख्याल रखना, भगत से मिलने जेल में जाना और आजाद हिन्द फौज के बंदियों के पक्ष मे मुकदमा लड़ने जैसी तमाम जानकारियां दीं और कहा की नेहरु को जानने के लिये तथ्यात्मक किताबों और लेखों सहित खुद नेहरु द्वारा लिखी किताबें जैसे डिस्कवरी ऑफ़ इंडिया, लेटर्स टू नेशन जैसी किताबों को पढ़ना चाहिये।

कार्यक्रम का द्धितीय सत्र प्रश्नोत्तर काल का था। इसमें विभिन्न संगठनों खास कर राइट विंग के लोगों ने तमाम सवाल किये और अशोक पांडेय ने उनकी हर शंका का दस्तावेजी तथ्यों के आधार पर समाधान किया। भगतसिंह को फांसी से बचाने में गांधी व नेहरू की कथित उदासीनता को लेकर पूछे गये एक सवाल के जवाब में अशोक पांडेय ने एतिहासिक साक्ष्यों के आधार पर कहा कि यह यह सुनियोजित तरीके से फैलाया गया मिथक है। गांधी व नेहरू ने उनको बचाने की पूरी कोशिश की, मगर अंगेजों ने उनकी नहीं सुनी। लेकिन इस मुद्दे पर निरंतर पूरक प्रश्नों का जवाब देते हुए अंत में अशोक पांडेय ने अंत में यह सवाल कर दिया कि आखिर गांधी नेहरू पर ही सवाल क्यों? कोई बताये कि उस समय राइट विंग के बड़े लीडरों में शुमार किये जाने वाले सावरकर, हेडगेवार, श्यामा प्रसाद मुखर्जी आदि ने क्या किया? इस पर बेशुमार तालियां भी बजीं। इसके बाद समापन की औपचारिक घोषणा हुई।

इसे पूर्व डा. अरविंद शुक्ला ने कार्यक्रम के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला और और वरिष्ठ पत्रकार नजीर मलिक ने कार्यक्रम को विस्तार दिया। इस दौरान ज्ञान प्रकाश द्विवेदी, सरफराज मलिक एडवोकेट, एक्टिविष्ट शाहरुख खान एडवोकेट, अभिषेक शंकर त्रिपाठी, पतंजलि मिश्रा, अरुण प्रजापति, नितेश पांडेय, दीपक मिश्रा, इम्तियाज अहमद, मुकेश दूबे, मनीष यादव, कौशल शुक्ला, अनूप त्रिपाठी, घनश्याम ओझा, मनोज चौधरी, अभिनय राय, हिमांशु पान्डेय, ऋषभ श्रीवास्तव, आशुतोष मिश्रा सहित सैकड़ो की संख्या में लोग उपस्थित रहे।

 

 

 

 

 

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