नेपाल में तेजी से बढ़ रहा धर्मांतरण, दो दशक में 21 लाख बढ गई क्रिश्चियन आबादीuthj

May 17, 2016 1:35 PM0 commentsViews: 976
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नजीर मलिक

नेपाल के एक गांव में स्थापित चर्च

                                  नेपाल के एक गांव में स्थापित चर्च

सिद्धार्थनगर। नेपाल में किश्चियन संगठनों द्धारा धर्मांतरण का काम जोर शोर से जारी है। पिछले बीस साल में वहां इसाइयों की तादाद तेजी से बढ़ी है। बीस साल पहले नेपाल में इसाइयों की तादाद . 02 फीसदी थी, जो अब बढ़ कर सात फीसदी यानी २१ लाख हो गई है। यह आबादी वहां की मुस्लिम आबादी के बराबर है

नेपाल में हाल में जारी हुए धर्मवार आंकड़े चौकाने वाले हैं। 1990 के दशक में नेपाल में इसाइयों की आबादी .02 फीसदी यानी मात्र 20 हजार बताई गई थी, वहीं बीस सालों यह आबादी बढ़ कर 7 फीसदी यानी 21 लाख से अधिक हो गई है।

नेपाल के बदले इस जनसांख्यकीय हालात से वहां के बुद्धिजीवियों में चिंता व्याप्त है। वहां के समाज विज्ञानी रमेश गुरंग की मानें तो,  इसाई आबादी बढ़ने का यह सिलसिला अगर बना रहा, तो आने वाले 50 सालों में वहां हिंदू और बौद्ध आबादी अल्पसंख्यक होकर रह जायेगी।

बढ रहा मिशनरियों का जाल

पिछले 20 सालों में नेपाल में इसाई मिशपरियों का जाल बहुत तेजी से फैला है। व िनेपाल के तमाम अंचलों में तेजी से फैल गई हैं। नेपाल के बुटवल में कई चर्च बन चुके हैं। इसके अलावा नारायण घाट से बीरगंज के बीच कोपवा, गजेहड़ा, मोतीपुर, तौलिहा आदि में हजारों लोगों ने इसाई धर्म स्वीकर कर छोटे छोटे चर्च स्थापित कर लिए हैं।

मध्यम जातियों पर फेंका जा रहा जाल

नेपाल में मिशनरियों के निशाने पर वहां की गरीब और मध्यम जातियों के लोग हैं। मिशनरियां वहां के मगर, गुरुंग, लिंबू, राई, खार्की और विश्वकर्मा जातियों को अपना टार्गेट बनाती है। पहले वह उन्हें शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास आदि के लिए मदद देती है और बाद में बड़ी खोामेशी से इसाई धर्म में दीक्षित कर देती हैं।

50 साल में बदल जायेगा आबादी का अनुपात

जानकार बताते हैं कि वर्तमान में नेपाल में इसाइयों की तादाद 21 लाख पहुंच गई है। अगर आबादी बढने की रफ्तार यही रही, तो पचास साल में यह एक करोड़ से उपर हो जायेगी। इससे नेपाल का जनसंख्यकीय अनुपात ही गड़बड़ा जायेगा और इससे वहां की हिंदू और बौद्ध आबादी अल्पसंख्यक हो जायेगी। क्यों कि धर्म परिवर्तन करने वाले इन्हीं दोनो धर्मों के हैं। गुरंग कहते हैं कि सरकार को इसे रोकने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे।

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