फौजी के नवजात बेटे की दर्दनाक मौत, गुस्साई भीड़ ने मेडिकल कालेज को घेरा, जांच के आदेश
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। स्थानीय मडिकल कालेज में बीती शाम सेना के एक जवान के नवजात बेटे की मौत हो गई। इस घटना से आक्रोशित परिजन और ग्रामीण मंगलवार शाम मेडिकल कॉलेज के मुख्य गेट पर और वहां से इमरजेंसी गेट पर पहुंचकर नारेबाजी और प्रदर्शन किया। उन्होंने ड्यूटी पर तैनात चिकित्सक पर आरोप लगाया है कि कई बार बुलाने के बाद शराब के नशे में गुटखा खाकर वहां का एक डाक्टर पहुंचा और इलाज करने के बजाए गोरखपुर रेफर कर दिया। इस वजह से बच्चे की ले जाते समय रास्ते में जान चली गई। डाक्टर अगर रेफर करने के बजाए समय से इलाज करता तो शायद बच्चे की मौत न होती। सीओ और शहर कोतवाल के पहुंचने और समझाने के बाद मामला शांत हुआ। पीड़ित ने प्राचार्य को शिकायती पत्र देकर कार्रवाई की मांग की है।
अस्पताल पर सांयकाल हुआ हंगामा
प्राप्तविवरण के मुताबिक सेना के जवान राज सिंह ने जब लोगों को बताया कि चिकित्सक की लापरवाही से उनके नवजात बेटे की मौत हो गई तो लोग आक्रोशित हो गए। सिंद्धात यादव, शाहरुख पाठन और विजय यादव सहित सैकड़ों की संख्या में लोग राज सिंह के साथ खड़े हो गए। चिकित्सक के खिलाफ नारेबाजी करते हुए पर मेडिकल कॉलेज गेट के सामने मुख्य सड़क पर जाम लगाकर कार्रवाई की मांग करने लगे। मामले की जानकारी मिलते ही शहर कोतवाल सतीश कुमार सिंह पुलिस टीम के साथ मौके पर पहुंच गए। उनके समझाने के बाद 10 मिनट में जाम को खत्म हो गया। लेकिन आक्रोशित युवक इमरजेंसी गेट पर पहुंचकर बैठ गए और चिकित्सक के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। मामला और न बिगड़े और अस्पताल में मरीजों को दिक्कत न होने इसे देखते हुए सीओ सदर अखिलेश वर्मा भी मौके पर पहुंच गए। सीओ और कोतवाल ने समझाया और फिर प्राचार्य एके झा को शिकायती पत्र दिया। उनके द्धारा जांच करके कार्रवाई का भरोसा देने के बाद पीड़ित पक्ष के साथ अन्य लोग शांत हुए और विरोध प्रदर्शन बंद हुआ।
खेसरहा थाना क्षेत्र के बनकटा गांव निवासी राज सिंह सेना के जवान हैं और मौजूदा समय में उनकी तैनाती हिमाचल प्रदेश में है। राज सिंह के मुताबिक उनकी पत्नी की डिलिवरी होना था। जहां सोमवार सुबह 7:30 बजे महिला अस्पताल में पत्नी को भर्ती कराया गया। ऑपरेशन से लड़का पैदा हुआ। चिकित्सक ने बताया कि बच्चा स्वास्थ है। रात 12:40 एकाएक बच्चा लंबी-लंबी सांस लेने लगा तो नर्स ने मेडिकल कॉलेज के एसएनसीयू वार्ड में बच्चे को भर्ती करने की सलाह दी। वार्ड में लेकर पहुंचे तो पता चला कि चिकित्सक नहीं है, उधर बच्चे की हालत बिगड़ रही थी। नर्स से ऑक्सीजन लगाने के लिए कहा तो वह नहीं सुनी।
डाक्टर ने नशे की हालत में कर दिया रेफर?
लगभग 2:50 बजे चिकित्सक एसएल पटेल शराब के नशे में गुटका चबाते हुए पहुंचे। जब उनसे इलाज के बारे में कहा गया तो इलाज करने के बजाए बिना बच्चे को देखे ही बोले स्थिति खराब है और रेफर कर दिया। भोर में गोरखपुर ले जाते समय धानी के पास ही बच्चे की मौत हो गई। इसके बाद जवान के परिजनों ने मंगलवार सांय यहां जनता के साथ मिल कर मडिकल कालेज को घेर लिया। उनका आरोप था कि अगर डाक्टर समय से बच्चे का इलाज शुरू कर देते तो शायद बच्चे की जान नहीं जाती है। लेकिन नशे की हालत में उन्होंने बच्चे को देखे बिना गोरखपुर रेफर कर दिया। राज सिंह ने प्राचार्य को शिकायती पत्र देकर मामले की जांच करके चिकित्सक पर कार्रवाई की मांग की है।
अक्सर विवादों में रहते हैं बाल रोग विशेषज्ञ
मेडिकल कॉलेज में तैनात बालरोग विशेष डॉक्टर एसएल पटेल का विवादों से नाता रहा है। वह हर दो माह पर किसी ने किसी विवाद से चर्चा में आ ही जाते हैं। दो माह पहले भी बाहर से पैथालाजी वाले को बुलाकर वार्ड में बच्चों की जांच कराने को लेकर विवादों से घिरे थे। हर बच्चे से 1000 से 1500 रुपये वसूली करने का मरीजों के बच्चों ने आरोप लगाया था। केबिन में घेर लिए थे। विरोध बढ़ता हुआ देखकर वह केबिन छोड़कर भाग खड़े हुए थे। लेकिन कार्रवाई करने के बजाए उनकी जिम्मेदारी और बढ़ा दी गई। वार्ड की पूरी जिम्मेदारी दे दी गई। लोगों का कहना है कि उनके अंदर पता नहीं कौन सी खूबी है कि गंभीर आरोपों से घिरने के बाद कार्रवाई होने के बजाए उनकी जिम्मेदारी में इजाफा कर दिया जा रहा है। लोग जिम्मेदारों की कार्यशैली पर सवाल खड़ा कर रहे हैं।
मेडिकल कालेज प्रचाार्य ने कहा
इस बारे में मेडिकाल कालेज सिद्धार्थनगर के प्रचाार्य डॉ. एके झा का कहना है कि घटना अफसोसनाक है, मगर बच्चे की हालत गंभीर रही होगी तभी चिकित्सक ने रेफर किया है। अस्पताल में मौत भी नहीं हुई है, बच्चे की मौत गोरखपुर ले जाते समय रास्ते में बताया जा रहा है। फिलहाल जो आरोप लगे हैं, उसकी जांच होगी। जांच के आधार पर कार्रवाई की जाएगी।