जिले में बढ़ रही मां–बेटे की मौत की दर, फिर भी सन्नाटे में गुजर गया राष्ट्रीय मातृत्व दिवस
संजीव श्रीवास्तव
जिले में मातृ और शिशु के मौत की दर अन्य जिलों के मुकाबले ज्यादा है। इसे रोकने के लिए शासन ने मातृ दिवस के आयोजन का निर्देश दे रखा है। सिद्धार्थनगर में २७ जनवरी को इस गंभीर विषय पर सेहत महका सोता रहा। आम जनता को इसकी खबर तक नहीं लगी। इस महत्वपूर्ण दिवस पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा लोगों को जागरुक करने के लिए कोई कार्यक्रम आयोजन न होना लोगों का चुभ गया है।
मालूम हो कि 27 जनवरी को राष्ट्रीय मातृत्व दिवस के रुप में मनाया गया। मुख्यमंत्री ने वर्ष 2015-16 को मातृ एवं बाल स्वास्थ्य वर्ष घोषित कर रखा है। मुख्य सचिव आलोक रंजन ने 27 से 3 फरवरी तक मातृत्व सप्ताह मनाये जाने का निर्देश दे रखा है, मगर सिद्धार्थनगर के स्वास्थ्य विभाग को इन निर्देशों की तानिक भी परवाह नहीं है।
मातृत्व दिवस के पहले दिन ही शासन का निर्देश यहां पर बेअसर दिखा। मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय में रोज की तरह ही चहल-पहल दिखी, मगर इस दिवस को लेकर अधिकांश कर्मी स्वयं अंजान दिखे। कई कर्मियों ने बातचीत के दौरान किसी आयोजन को लेकर अनभिज्ञता जतायी। स्वयं सीएमओं भी दिनभर अपने कार्यालय में बैठे रहे और काम निपटाते दिखे।
याद रहें कि सिद्धार्थनगर में मातृ- शिशु मृत्यु दर प्रदेश के अन्य जिलों के मुकाबले काफी खराब है। यहां पर यह दर प्रति हजार में 9 सौ से कम है। इसका कारण लोगों में जागरुकता की कमी है, मगर मातृत्व दिवस को लेकर विभागीय उदासीनता लोगों की समझ से परे है।
इस सिलसिले में सीएमओ डा. जी. सी. श्रीवास्तव का कहना है कि मातृत्व दिवस पर आयोजन को लेकर शासन की ओर से कोई निर्देश नहीं मिला है। रही बात मातृत्व सप्ताह को तो शासन से मिले निर्देशों से सभी सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों के अधीक्षकों को अवगत करा दिया गया है।