पांच सौ, हजार के नोट बंद होने से अफरा तफरी, बाजारों में सन्नाटा, पेट्रोल पंपों पर हंगामा
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। पांच सौ व हजार रुपये के नोटों को बंद करने के फैसले के बाद जिले में अफरा तफरी फैली हुई है। इस निर्णय के बाद जिले की खरीद-फरोख्त पर सुबह से भारी असर दिख रहा है। कई जगहों पर हंगामे की स्थिति है। जिले के कई पेट्रोल पंप हंगामे के कारण बंद कर दिए गये हैं।
नोटों क बंद करने की सरकारी घोषणा कल शाम को की गई। उसका असर आज सुबह बाजारों में दिखा। जिला हेडक्वार्टर की गोबरहवा सब्जी मंडी में सन्नाटा देखा गया। आढ़तियों का मालत तो मंडी में पड़ा था, लेकिन व्यापारियांे के पास खरीदारी के लिए वाजिब नोट नहीं थे।
पेट्रोपंपों पर हालात बदतर
सबसे खराब हालात पेट्रोल पंपों की है। वहां सुबह से ही वाहनों की कतारें लगी हुई हैं। ग्राहक पांच सौ या हजार का नोट देकर सौ दो सौ का पेट्रोल भरा कर शेष रकम की वापसी चाहते हैं। दूसरी तरफ पंपकर्मी खुदरा नोट न होने की दलील देकर कम से कम पांच सौ का पेट्रोल लेने को कहते हैं।
इस बात को लेकर कर्मियों और वाहन सवारों में तीखी नोकझोंक हो रही है। पेट्रोपंपों पर सुरक्षा के लिए पुलिस भी नहीं है। इसीलिए कुछ संवेदनषील स्थानों पर पंपमालिक ने अपने पेट्रोप पंप बंद कर दिये हैं। सबसे पहले जिला मुख्यालय के बांसी तिराहे का पंप बंद हुआ। उसके बाद जिले के कई पंप बंद कर दिये गये।
गरीब के घर आफत
इस फैसले सबसे अधिक गरीब को कष्ट झेलना पड. रहा है। मजदूर राम कुमार कहते हैं कि उनके घर सिर्फ पांच का एक नोट ही है। लेकिन रुपया होते हुए भी आज सुबह वह चावल और आंटा नहीं खरीद पाये। अगर पडोसी ने दो सौ रुपये की मदद न की होती तो आज उनका परिवार भूखा रह जाता। ऐसी हालत तमाम गरीबों की है।
मध्यमवर्गीय घरों में भी यह दिक्कत है। किसी को गैस सिलेंडर लाना है तो किसी को बच्चों की फीस जमा करनी है। किराने की दुकान से ब्रेड, दूध, अंडा पेस्ट, साबुन आदि की खरीदारी करने के लिए छोटा नोट चाहिए, जो कि उनके पास नहीं है। शिक्षक बेलाल अहमद कहते हैं कि नोटों पर रोक तो ठीक है, लेकिन इस जिस तरह से लागू किया गया है उससे करोडों लोगों को फिलहाल आफत झेलनी पड रही है।