नोटबंदीः भरोसे की गाड़ी से घिसट रही जिंदगी, मगर कब तक?
आकाश कुमार
सिद्धार्थनगर। हजार-पांच के नोटों के बन्द होने और छोटे नोटों की क्राइसिस ने इंसान की जिंदगी को मुश्किल में डाल दिया है। ग्रामीण क्षेत्रों में जरूरी सामानों की खरीद न कर पाने से लोग ठगा महसूस कर रहे हैं। ऐसे में कुछ दुकानदारों ने भरोसे पर उधारी देना शुरू किया तो घर की गाड़ी खिंचने लगी। लेकिन अगर यह स्थिति कुछ दिन और रही तो भरोसे की गाड़ी भी टूट जायेगी।
खुद के पास और बाजार में भी छोटी नोट नहीं होने से लोग जरूरी चीजों को भी नहीं खरीद पा रहे है। घर से लेकर बैंक खातों में धन की कोई कमी नहीं होने के बाद भी दैनिक उपभोग के सामान नहीं मिल पाने से अमीर हो या गरीब सभी परेशान हैं। बैंकों में रूपया बदलने के लिए लम्बी कतार, कहीं एक-दो घण्टे के लिए एक-दो एटीएम खुल गए तो वहां भी मारामारी से लोगों की जेबें खाली रह जा रही है।
कई ऐसे बैंक हैं जहां कैश ही देर में आ रहा है तो कुछ कैश्ज्ञ लेस होने की वजह से कुछ देर में ही नोट बदलने के बाद नो एक्सजंेज का बोर्ड चस्पा कर दे रहे हैं ऐसे में लोग 100, 50, 20, 10 की नोट को तरस रहे हैं। छोटे नोट न होने से दवा, सब्जी, दूध, खाने-पीने की अन्य वस्तुओं की खरीदारी में दिक्कत आ रही है।
क्योंकि दुकानदार पुराना हजार-पांच सौ रूपये के भी नोटों को नही ले रहा है।कुछ लोग पेट्रोल पम्पों पर जाकर एक सौ रूपया का तेल भरा कर चार सौ रूपये फुटकर चाह रहे हैं पर पम्प वाले फुटकर न होने की बात कह कर पूरे रूपये का तेल भर दे रहे हैं इससे वहां पर भी फुटकर पैसा लोगों को नही मिल पा रहा है।
जेब में फुटकर पैसा न होने से लोगों की दिनचर्या भले ही प्रभावित न हो रही हो लेकिन खाने-पीने में कंजूसी जरूर करने लगे हैं। जिनके घरों में राशन नही है वह दुकानदारों से मिन्नतें कर उधार इस शर्त पर ले ले रहे हैं इनके नोट बदलने पर उधारी अदा कर देंगे। दुकानदार भी भरोसा कर लोगों का उधारी खाता चलाने लगे हैं। दुकानदारों के भरोसे ने कईयों के घर की गाड़ी को खींचने में मदद की वरना सब्जी, दूध ही नहीं दाल-चावल भी शायद कुछ घरों में नही बन पाते।