अच्छी पुलिसिंग के लिए निकम्मे मातहतों का दिमाग ठीक करिए कप्तान साहबǃ
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर में काननू व्यवस्था की हालत में गिरावट आने लगी है। जिले में डकैती के साथ हत्या और पुलिस बूथ के सामने ही जब दिन दहाडे छिनैती होने लगे तो पुलिस पर अंगुलियां उठना स्वाभाविक है।
पिछले रविवार को चिल्हिया थाने के देवकलीगंज बाजार में दिन दहाडे सरदार खां नामक एक व्यक्ति को कुछ लोगों ने दिनदहाड़े पीट पीट कर मार डाला। सरदार की हत्या में सात मुलजिम मुलजिम नामजद है, लेकिन घटना के 11 दिन बाद भी पुलिस किसी को पकड़ पाने में नाकाम है।
सरदार खां हत्याकांड की घटना अभी ठंडी भी नही हुई थी कि जिला मुख्यालय के अशोक मार्ग तिराहे पर बदमाषें ने चार बजे दिन में ही एक रिटायर्ड मास्टर के पांच हजार रूप्ये लूट लिए। तीसरी घटना छोटी दीपावली की रात की है। बढ़नी कस्बे में बदमाशों ने घनश्याम गुप्ता के घर धावा मार कर उनकी हत्या तो की ही, लाखों लूट कर भी ले गये।
यह तो केवल बानगी है। बढ़नी में डकैती की रात ही चोरों ने दो घरों पर भी हाथ साफ किया। इससे एक दिन पूर्व लोटन में तीन घरों में चोरी हुई। इस तरह की घटनायें अब जिले में आम होने लगी हैं।
सवाल है कि ऐसा क्यों हो रहा है। क्या घाघ पुलिस वाले अपने कप्तान की संवेदनशीलता का लाभ उठा रहे हैं या उनके कम अनुभव का। सच जो भी हो मगर उन्के मन से भय निकल गया है। यही वजह है कि आज असली अपराधियों को पकड़ने के बजाये जिले में फर्जी खुलासे की बातें भी सामने आने लगी हैं।
सवाल पुलिस प्रशासन ही नहीं पुलिस प्रमुख की साख का भी है। इसलिए जब तक घाघ दारोगाओं पर लगाम नहीं कसी जायेगी, घटनायें होती रहेंगी। सपा नेता निसार बागी की मानें तो आज जिले में कानून व्यवस्था को ठीक करने के लिए कुछ मगरमच्छ दारोगाओं का दिमाग ठीक करना भी जरूरी हो गया है।