सुस्त हुआ बाजार, नोटों की कमी से जनता में हाहाकार, बैंकों से नहीं हो रहा भुगतान
नजीर मलिक
यूपी के सिद्धार्थनगर में पैसों का अकाल पड़ गया है। जिसके चलते बाजर थम से गये हैं, गरीब खने पीने के सामानों को लेकर जूझ रहा है। दूसरी तरफ बैंकों में लम्बी लंबी कतारे लगी है। लोग क एक पैसे के लिए जूझ रहे हैं। एटीएम मशीनें खाली हो चुकी हैं। हर तरफ हाहाकार है।
शहर का कोई भी बैक हो सभी पर भीड लगी है। सबसे ज्यादा भीड़ स्टेट बैंक की शाखाओं पर है इसके अलावा पंजाब नेशनल, सेन्द्रल, अलाहाबाद, बैक आफ महाराष्ट्रा से लगायत अर्बन कोआपरेटिव बैकों पर भी कतारें देखी जा सकती हैं।
सिद्धार्थनगर से इतर जिले के बांसी, शोहरतगढ़, बढनी, डुमरियागंज, इटवा आदि कस्बों में बैंकों पर लगने वाली भीड़ इस बात का प्रमाण है कि आम आदमी व छोटा कारोबारी कितना परेशान है। शिक्षक मधसुदन बताते हैं कि दूध उधार मिल रहा है। लेकिन बाहरी होने के कारण किरान व सब्जी आदि उधार नहीं मिलता। एटीएम में पैसे नहीं हैं। बस मित्रों के सहारे गाड़ी किसी तरह चल रही है।
जनसामान्य के पास नये नोट न होने से बाजार पर भी प्रभाव पड़ा है। सब्जी मंडी से लेकर किराना की दुकान व कपड़े की दुकानें बुरी तरह प्रभावित हैं। शादी ब्याह वाले घरों में तो और भी दिक्कत है। उनकी समझ में नहीं आता कि काम कैसे निपटाया जाये।
शहर में रेडीमेड कपड़े के व्यवसाई ओकार गुप्ता कहते हैं कि शादी ब्याह के सीजन में उनका काम ठीक रहता था, मगर इस साल आदमी के जेब में पैसे नहीं है इसलिए व्यापार बुरी तरह ठप है। किराना व्यवसाई भी बताते हैं कि पचास प्रतिशत बिक्री में कमी आई है।
सबसे बुरी हालत ग्रामीण क्षेत्रों की है। पुराने नोटों को बदलने के लिए वह कई कई किमी चल कर निकटम टाउन में जाते हैं मगर बैकों में नोटों की कमी के चलते वह निराश होकर वापस आ जाते हैं। किसान अपनी उपज नहीं बेच पा रहा है।
बांसी के किसान अहमद रजा नाम के किसान बताते हैं कि अगले सप्ताह लड़की की शादी है, मगर कोई व्यापारी उसकी उपज नकद मूल्य पर खरीदने को तैयार नहीं है। क्या करें कुछ समझ में नहीं आता।