big news– नहीं रहे गंगा जमुनी तहजीब के महान शायर बेकल उत्साही
नजीर मलिक
“गंगा जमुनी परम्परा के महान शायर पदमश्री बेकल उत्साही का आज दिल्ली के राम मनोहर लाहिया अस्पताल में इलाज के दौरान इंतकाल हो गया। वह 88 साल के थे और अरसे से बीमार चल रहे थे। उनके निधन से सिद्धार्थनगर और बलरापुर से लगायत पूरे भारत के अदबी खित्ते में शोक छा गया है। तमाम लोग उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं”।
बताया जाता है कि आज आधी रात के बाद उनकी तबीयत ज्यादा बिगड़ गई। डाक्टरों ने संभालने की कोशिश की, मगर कामयाब न हुए। आखिर में उन्होंने भोर में 4.45 बजे दम तोड़ दिया। खबर है कि उनका शव उनके गृह जनपद बलरामपुर लाया जा रहा है। इस वक्त समूचा बलरामपुर जिला शोक में डूबा हुआ है।
बेकल उत्साही की जीवनी
बेकन उत्साही का असली नाम मो. शफी खान वल्द मो. जफर खान लोधी था। शुरू में वह बेकल के नाम से शायरी करते थे। बताते हैं 1952 के चुनाव में तब के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू गोंडा आये। उन्होंने मंच से बेकल साहब की नज्म सुनी और उन्हें उत्साही शायर कहा। तब से लोग उन्हें बेकल उत्साही कहने लगे।
महान शायर थे उत्साही
बेकल उत्साही गंगा जमुनी परम्परा के महान शायर थे। विचार सूफियाना थे। हिंदू मुस्लिम एकता के जबरदस्त समर्थक थे। उनको समझने के लिए उनके कुछ अशआर ही काफी हैं। अवधी बोली को मिला कर उर्दू शायरी में नया प्रयोग करने वाले बेकल साहब को सरकार ने नदम श्री के खिताब से नवाजा था।
बेकल साहब आम आदमी और आम जुबान के शायर थे। धर्म निरपेक्षता उनमें कूट कूट कर भरी थी। भारतीयता उनमें कूट कूट कर भरी थी। उन्होंने लिखा है–
‘धर्म मेरा इस्लाम है, भारत जन्म स्थान वजू करूं अजमेर में काशी में स्नान’
और
‘भाव स्वभाव के मोल में मैं अक्षर अनमोल नवी मेरा इतिहास है कृष्ण मेरा भूगोल’
इस तरह हम देखते हैं कि बेकल उत्साही के विचार भारत की मिट्टी और कोमी एकजहती से किस गहराई तक जुडे थे।
बेकल साहब के निधन से पूरे जिले में शोक की लहर है। मशहूर शायर डॉ. कलीम कैसर, डॉ. ए.एस. सिद्दीकी, सागीर खाकसार, सलमान आमिर, नियाज कपिलवस्तुवी, डॉ. जावेद कमाल, नजीर मलिक आदि ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की है।