बिना कर्मचारी के विकास का सपना देख रहा पंचायत विभाग

August 30, 2015 6:01 PM0 commentsViews: 140
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1234567899“पंचायती राज विभाग की कारगुजारी भी खूब है। गांव के चहुंमुखी विकास का जिम्मा ओढ़े ब्लाकों में कर्मचारियों का घोर अभाव है। यह कमी भी कोई एक माह से नही विगत चार सालों से बनी हुई है। एक कर्मी के जिम्मे आठ से दस गावों की जिम्मेदारी है। विकास खंड के 70 ग्राम पंचायतों पर मात्र 12 कर्मी ही तैनात है। ऐसे में गावों के चहुंमुखी विकास का सपना कितना साकार होगा शासन इसे बेहतर समझ सकता है।

गांवों के विकास में महती भूमिका अदा करने वाला विकास विभाग बिना हथियार के कई सालों से गांव के विकास की जंग लड़ रहा हैं। इस ढीली लड़ाई में विकास का हश्र तो बुरा है ही इसके सिपाही भी क्षमता से अधिक बोझ ढोने के चलते सुस्त पड़ते जा रहे है। बावजूद इसके गांव के विकास का राग अलापने वाली सरकारें इस दिशा में कोई प्रयास करने का जहमत उठाना नही चाहती

तहसील में स्थापित तीनों ब्लाकों खेसरहा, बांसी व मिठवल में कुल ग्राम पंचायतों की संख्या 260 है। इनमें 41 विकास कर्मी तैनात हैं। ब्लाक मुख्यालयों से प्राप्त आकड़ों के मुताबिक बांसी ब्लाक में 70 ग्राम पंचायतों पर मात्र 12 विकास कर्मी तैनात हैं। औसतन यहां पर एक कर्मी के जिम्मे छह ग्राम सभाओं का बोझ है। इसी प्रकार खेसरहां ब्लाक में कुल ग्राम सभा 84 व विकास कर्मी 13 है। यहां भी एक कर्मी पर छह ग्राम सभाओं से अधिक का दायित्व है।

कमोवेश यही स्थिति जिले में ग्राम पंचायतों के लिहाज से दूसरा स्थान रखने वाले मिठवल ब्लाक की है। यहां कुल 106 ग्राम पंचायतों के लिए जिम्मेदारी मात्र सोलह विकास कर्मियों के कंधे पर है।इनके काम की बात करें तो इन पर जन्म मृत्यु पंजीयन, प्रमाण पत्र वितरण, विकास कार्यों के लिए खुली बैठक, मनरेगा के तहत विकास कार्यों, पेंशन, आवास, विकास कार्यों की निगरानी, धन की निकासी जैसी अनेकों अति महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां है। शासन की मंशा के मुताबिक न तो यह गांवों में रात्रि विश्राम कर रहे है न ही जनता से अब इनका सीधा संवाद है। जरूरत पर गांव के लोग कइयों दिन इन्हें ढूंढते रह जाते है। मानक से अधिक गांवों का बोझ लेकर चलने से ही यहां दिक्कतें अब बेशुमार हो गई है।

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