शोहरतगढ़ में जोर पकड़ रहा ‘परदेसियों से न अंखिया मिलाना’ का नारा
जब जब फूल खिले के गीत के माध्यम से बाहरी प्रत्याशियों को हरा कर भगाने का नारा उछाल रहे स्थानीय प्रत्याशी
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। अरसा पहले फिल्म जब जब फाल खिले फिल्म का गाना ‘परदेसियों से न अंखियां मिलाना’ नामक गाना हर जुबान पर छाया हुआ था। शोहतगढ़ विधानसभा सीट पर चल रहे वर्तमान चुनाव के दौरान यह गाना एक बार फिर लोगों की जुबान पर चढ़ता जा रहा है। इस सीट से चुनाव लड़ रहे स्थानीय उम्मीदवार इस गाने के मुखड़े का प्रयोग कर बाहर से चुनाव लड़ने आये दो प्रत्याशियों के बारे में जनता को सावधान करते देखे जा रहे हैं।
दो प्रत्याशी को बता रहे बाहरी
ये दोनों प्रत्याशी है भाजपा गठबंधन से अपना दल उम्मीदवार विनय वर्मा और सपा गठबंधन स सुभासपा के उम्मीदवार प्रेमचंद कश्यप। विनय वर्मा गोरखपुर के रहने वाले हैं और रियल स्अेट के कारोबार में हैं तथा अकत सम्पत्ति के मालिक हैं। इनके बारे में विपक्षी आरोप लगााते हैं कि वह टिकट को भारी रकम खर्च करके लाए हैं। जहां तक सुभासपा के प्रेम कश्यप का प्रश्न हैए वह करहल के रहने वाले हैं और वहां राजनीति करते थे। इस बार मैनपुरी की करहल सीट से अखिलेश यादव के चुनाव लड़ने के बाद उन्हें शोहरतगढ़ भेजा गया है।
वैसे प्रेम चंद कश्यप बताते हैं कि उनके पूर्वज शोहरतगढ़ के खैरी के रहने वाले हैं। बहरहाल इस सीट से चुनाव लड़ने वाले इन्हें बाहरी उम्मीदवार बता कर इनको हराने की बात कर रहे हैं और इसके लिए ‘परदेसियों से न अंखियां मिलाना- परदेसियों को है इक दिन जाना’ जैसे खूबसूरत गीत का सहारा ले रहे हैं।
मै बाहरी नहीं- प्रेमचंद कश्यप
स्थानीय उम्मीदारों का कहना है कि जो कई करोड़ रुपया खर्च करके टिकट लाया हो वह जनता के लिए क्या करेगा यह अहम सवाल है। इसलिए बाहर से आये लोगों को हरा कर भगाना चाहिए। जबकि इस बारे में राजभर की पार्टी सुभासपा के उम्मीदवार प्रेमचंद कश्यप का कहना है कि वह बाहरी नहीं हैं। उनके पूर्वज यहीं के रहने वाले थे और काम़धाम की तलाशा में करहल में बस गये थे। अब वे पुनः अपने पुश्तैनी घर आ गये हैं।