निकाय चुनावः सिद्धार्थनगर में परिदृश्य अभी धुंधला, नहीं टूट रही मतदाताओं की चुप्पी
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। मुख्यालय की नगरपालिका में चुनाव पूरे शबाब है। एक दर्जन उम्मीदवार बाजी को अपने पक्ष में करने के जी जोड़ प्रयास में लगे हैं। मगर मतदाताओं की खामोशी की वजह से अभी चुनावी परिदृष्य धुंधला है। उम्मीदवार वोटरों की चुप्पी तोड़ने की कोशिश में हैं और वोटर हवा का रुख भांपने में लगा हुआ है।
वैश्य समाज में उहापोह
नगरपालिका सिद्धार्थनगर में इस बार चुनावी संघर्ष बहुत रोचक है। यहां वोटरों की दो बड़ जमात मुस्लिम और वैश्य है। दोनों समाजों से चार चार उम्मीदवार है। इनमें भाजपा उम्मीदवार श्याम बिहारी और निर्द उम्मीदवार व पूर्व अध्यक्ष घनश्याम दोनों सगे भाई तो हैं ही जायसवाल समाज पर दोनों ही अपनी पकड़ रखते हैं। समाजवादी पार्टी के संजय कसौधन वैश् समाज में सबसे बड़ ग्रुप कसौधन गुप्ता है जबकि एक अन्य निर्दल उम्मीदवार कन्हैया स्वर्णकारों के प्रतिनिधि है। कन्हैया गुप्ता पिछले कई चुनावों से अच्छे खासे मत बटोरते रहे हैं।
भाजपा को नये वर्ग में पैठ बनानी पडेगी
यहां जायसवाल मतों के वोट यकीनन दोनों जायसवाल बधुओं में बंटेगें, लेकिन गत चुनाव में श्याम बिहारी निर्दल की हैसियत से अपने बड़े भाई पर भारी पड़ गये थे। इस बार वे भाजपा के उम्मीदवार है। लेकिन इस बार भाजपा के पारंपरिक कसौधन मतों में सपा के संजय कसौधन भारी सेंधमारी करने में सक्षम दिख रहे हैं। लिहाजा भाजापा प्रत्याशी श्याम बिहारी को इस घाटे को पूरा करने के लिए कुछ नये मतदाता वर्ग में घुसपैठ बनानी होगी।
घनश्याम का चुनावी तजुर्बा अधिक
घनश्याम जायसवाल अनुभवी चुनावबाज हैं। दो बार भाजपा के सिम्बल पर सप्तनीक अध्यक्ष चुने जा चुके हैं।उन्हें नगर के हर वोट बैंक और पाकेट की पूरी जानकारी है। लिहाजा उनकी ताकत को पिछले चुनाव के प्रदर्शन के आधार पर नहीं आंका जा सकता। उनकी रणनीतिक गोट बड़ी खामोशी से बिछाई जा रही है। शहर के निर्बल वर्ग के मुहल्लों में उन्होंने बार बार अपनी ताकत सिद्ध किया है। भाजपा के बागी भी उनके साथ हैं।
मुस्लिम वोटरों में गजब की चुप्पी
जहां तक मुस्लिम मतों का सवाल है, वह भी पूरी तरह से खामोश है और इस बात को परख रहा है कि भाजपा को हराने में कौन सक्षम है। शहर में लगभग चार हजार मुस्लिम मतदाता है। इन वोटों पर निर्दल उम्मीदवार फौजिया आजाद, सपा के संजय कसौधन, कांग्रेस के मुनव्वर हुसैन व दो अन्य मुस्लिम उम्मीदवारों का निशाना है। लेकिन शहर में चर्चा मात्र संजय कसौधन, संजय कसौधन और मनव्वर हुसैन लड्डन की है। लेकिन मुस्लिम मतदाता अभी खामोश है। वह उसी को वोट पोल करेगा जो भाजपा का मजबूत प्रतिद्धदी साबित होगा। इसलिए अभी चुनावी धुंध कामय है। २५ नवम्बर के बाद सियासी कोहरा छंटना शुरू होग, तभी परिद्श्य साफ होगा।