सिद्धार्थनगरः मृत पत्रकार की पत्नी ने लगाया दो बड़े सपा नेता पर कत्ल का आरोप
अजीत सिंह
सिद्धार्थनगर। अमर उजाला बस्ती के पत्रकार धीरज पांडेय की पत्नी ने अपने पति की वाहन दुर्घटना में हुई मौत के लगभग दो साल इसे नियोजित कत्ल की संज्ञा देते हुए बस्ती व सिद्धार्थनगर एक पूर्व मंत्री व एक पूर्व विधायक पर हत्या का आरोप लगा कर सनसनी फैला दी है। लोग इसके राजनीतिक अर्थ तलाश कर रहे हैं। धीरज पांउेय की हत्या 6 जून 2015 को हुई थी।
धीरज पांडेय की पत्नी पूजा पांडेय ने आज महाराजगंज से यहां आकर प्रेसवार्ता की।शहर के मौर्या लाज में 12 बजे हुयी प्रेस कान्फ्रेंस में उन्होंने पत्रकारों से कहा कि उनकी हत्या बस्ती के एक पूर्व मंत्री राजकिशोर सिंह के इशारे पर बांसी के सपा नेता पूर्व विधायक लाल जी यादव ने अपनी गाड़ी से की थी। उन्होंने इस घटना की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है।
इतना सनसनी खेज आरोप लगाने के अलावा श्रीमती पूजा पांउेय ने कहा कि बस्ती के पत्रकार जो उनके पति के आगे पीछे घूमते थें, सभी बिक गये हैं। उनके मामले में अदालत और पुलिस विभाग सभी शासन के दबाव में हैं। इसलिए उन्हें अब न्याय की उम्मीद नहीं रह गई है।
पत्रकारों के सवाल पर उत्तेजित हुईं पूजा पांडेय
प्रेसवार्ता के दौरान पत्रकारों ने उनसे ताबड़ तोड़ सवाल किये। एक पत्रकार ने सवाल किया कि दुर्घटना के पौने दो साल बाद आप चुनाव के दौरान यह आरोप क्यों लगा रहीं है, तो वह उत्तेजित हो गई। उन्होंने कहा कि आपकी हत्या हुई होती तो क्या आपकी पत्नी फौरन घर से निकल जाती। फिर वह सिसकते हुए बोलीं कि मै दो साल सदमें में रही। अब मुझे लगा कि मुझे न्याय चाहिए।
उन्होंने सपा सरकार पर भी तमाम आरोप लगाये। धीरज पांउेय की मौत पर शासन से मिली २० लाख रुपये की मदद का भी उन्होंने यहसान नहीं माना और कहा कि पहले एक प़त्रकार की मौत सरकार ने २० लाख दे चुकी थी, इसलिए मुझे भी देने पड़े।
दोनों नेता क्यों करायेंगे आपके पति की हत्या? इस सवाल पर उनका कहना था कि मेरे पति ने सपा के बस्ती लोकसभा प्रत्याशी बृज किशोर सिंह के मुकाबले भाजपा सांसद हरीश द्धिवेदी के लिए अच्छी रिपोर्टिंग की थी। यही बात उनके मंत्री भाई को पसंद नहीं आई और उन्होंने पूर्व विधायक की गाड़ी से उन्हें मरवा दिया।
फिलहाल प्रेस कान्फ्रेंस में उनकी कही बात अविश्वसनीय लगीं। धीरेज पांडेय की मौत के समय उस प्रकरण को हत्या की संज्ञा नहीं देने वाली पूर्जा पांडेय आज अपने आरोप को जस्टरफाई नहीं कर पा रही है। उनका केवल यही तर्क है कि वह अब तक परेशान रहीं, उन्हें जान का खतरा था। अब उन्हें लग रहा है कि दोनों को सजा दिलाने का वक्त आ गया है। पत्रकारों द्धारा यह कहने पर कि न्यूज फ्लैश करने से उन्हें सजा तो नहीं मिलेगी, इसके लिए कानूनी प्रकिया अपनानी पड़ेगी। इसके जवाब में उनका कहना था कि फिलहाल मुझे न्याय न मिले, मगर उनका असली चेहरा तो सामने आना चाहिए।
क्या था मामला
याद रहे कि 6 जून 2015 को रात आठ बजे बस्ती शहर में हुई दुर्घटना में अमर उजाला के पत्रकार धीरज पांडेय वाहन दुर्घटना में घायल हो गये थे। वाहन बांसी के पूर्व विधायक लालजी यादव का था। 26 जून को इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई थी। उस समय किसी ने इस आशय की तहरीर नहीं दी, कि यह दुघर्टना नहीं साजिश है। अब पौने दो साल बात ऐन चुनाव के समय इस प्रकरण में नया मोड़ पैदा करना एक नई चर्चा को बल प्रदान कर रहा है। लोग इसके राजनीतिक अर्थ तलाशने में लगे हैं।