नेपाल में टूरिस्टों से लूटा जा रहा डीजल, पेट्रोल, 90 फीसदी पंप सूखे, नस्लीय हिंसा के आसार बढ़े
नजीर मलिक
नेपाल में पेट्रो ईंधन के सामने सोने, चांदी और नकद रुपये बेमतलब हो चुके हैं। अब वहां धन दौलत के बजाए डीजल, पेट्रोल लूटने की वारदातें शुरु हो गई हैं। तमाम शहरों में पेट्रोल पंपों का रिजर्व स्टाक खत्म होने को है। लोग पेट्रोल की एक एक बूंद के लिए तरस रहे हैं। इस मुदृदे को लेकर वहां का माहौल गरमाने लगा है।
शुक्रवार को नेपाल से तीर्थ यात्रियों को लेकर काठमांडू से भारत आ रही दो बसों को मुगलिंग और नारायन घाट के बीच रोका गया। उनका डीजल लूट लिया गया। इसी तरह पांच बसों को गुरुवार की रात नवलपरासी के पास भी रोका गया।
नवलपरासी में चालकों के डीजल देने से इंकार पर उनकी बसों पर पथराव किया गया। किसी तरह दोे सौ मुसाफिरों की जान बचा कर बस चालक सोनौली बार्डर पहुंचा। चालक श्रीराम चौधरी के मुताबिक उनकी जान बचाने में नेपाल पुलिस ने मदद की।
नेपाल में पेट्रोल, डीजल अहम मुदृदा बन चुका है। वहां प्राइवेट कारें, बसें और मोटर साइकिलों के चक्के जाम हैं। काठमांडू एयरपोर्ट पर विदेशी विमानों को नेपाल आयल निगम ने तेल देने से इंकार कर दिया है। हालत यह है कि एक लीटर डीजल या पेट्रोल दो सौ रुपये में भी नहीं मिल रहा है।
ठहर सा गया है नेपाल
सच तो यह है कि मधेसियों की नाकेबंदी के चलते पिछले दस दिनों से नेपाल में पेट्रोल की एक बूंद नहीं पहुंच पाई हैं। भारत के चेक पोस्टों पर डीजल, पेट्रोल और रसोई गैस से लदे ट्रकों की मीलों लंबी कतारें लगी हैं। दूसरी तरफ नेपाल में पेट्रोल पंपों पर लंबी लंबी लाइनें देखी जा रही हैं।
पेट्रो ईंधन के अभाव में नेपाल ठहर गया है। लोगों का रोजमर्रा का काम बंद है। सड़कों पर सन्नाटा है। इससे पहाड़ी नस्ल के नेपालियों में भारत के खिलाफ गुस्सा भड़क रहा है। उनका आरोप है कि यह सब भारत की शह पर हो रहा है।
बांके जिले में पेट्रोल के लिए लाइन में लगी सरिता वास्याल का कहना है कि मधेसी नाकेबंदी ने नेपाल को तोड़ दिया है। यह किसी के इशारे पर किया जा रहा है। दूसरी तरफ इसी जिले के मधेसी मोर्चा के प्रवक्ता पशुपति दयाल मिश्रा का कहना है कि नेपाल में जब तक मधेसियों की मांगे मानी नहीं जायेंगी, नाकेबंदी जारी रहेगी। यानी अभी नेपाल में संकट बढने के पूरे आसार हैं।
भड़क सकती है हिंसा
पेट्रोल के मुदृदे पर नेपाल में किसी दिन हिंसा भड़क जाये तो काई बात नहीं। वहां पहाड़ी मूल के हर नेपाली नागरिक में यह भावना साफ भरी है कि मधेसी आंदोलन को भारत का समर्थन मिला हुआ है। राजन श्रेष्ठ कहते हैं कि भारत सरकार चाहे तो पुलिस अभिरक्षा में भारतीय ट्रकों को नेपाल में अंदर तक भेज सकती है।
पहाडी मूल के नेपालियों की यह भावना दिल ब दिन बढ़ती जा रही है। कल को इसी भावना के तहत उन्होंने भारतीय मूल के मधेसियों पर हमला करना शुरु कर दिया तो ताज्जुब नहीं होना चाहिए। बहरहाल दोनों तरफ से लामबंदी तेज होती साफ नजर आ रही है।