तस्करी के कारण सीमाई जिलों में पेट्रोल व डीजल के लिए मारा-मारी, डीएम ने लगाई गैलन पर रोक
संजीव श्रीवास्तव
पड़ोसी मुल्क नेपाल में जारी आंदोलन के चलते वहां की रफ्तार थम गयी है। इस कारण भारत से नेपाल के लिए पेट्रो पदार्थो की तस्करी बढ़ गयी है। जिससे नेपाल से सटे सिद्धार्थनगर समेत महाराजगंज, श्रावस्ती, बहराइच समेत नेपाल से सटे यूपी के 11 जिलों के सीमाई इलाकों में पेट्रोल एवं डीजल के मारा-मारी शुरू हो गई है।
नेपाल में लगभग ढाई माह से मधेशी आंदोलन चल रहा है। इस कारण सीमा पार का जन-जीवन बुरी तरह से प्रभावित है। वहां पर रोजमर्रा की वस्तुओं की किल्लत हो गयी है। पेट्रोल व डीजल भी इससे अछूते नहीं हैं।
सीमा पार फैली अशांति से तस्कर सक्रिय हो गये हैं। पेट्रोल व डीजल की तस्करी उनके लिए सबसे लाभप्रद है। सूत्रों के मुताबिक नेपाल में पेट्रोल की कीमत प्रति लीटर दो सौ से अधिक पहुंच गयी है।
कुछ दिन पूर्व तक तस्कर इस पार से गैलनों में पेट्रोल व डीजल भर लेते थे और उस पार ले जाकर खाली कर देते थे। यह धंधा इतनी तेजी से चलने लगा कि सीमाई इलाकों के पेट्रोल पंप अक्सर ड्राई होने लगे।
समस्या इतनी बढ़ गयी कि प्रशासन को हस्तक्षेप करना पड़ा। डीएम ने गैलन व बोतलों में पेट्रो पदार्थो की बिक्री पर रोक लगा दी। कारण था कि इससे भारतीय इलाकों में पेट्रो पदार्थ की कमी होने लगी थी।
तस्करों ने प्रशासन के इस रोक का काट जल्द ही लांच कर दिया। अब वह दुपहिया वाहन लेकर बढ़नी, बर्डपुर, शोहरतगढ़, लोटन आदि सीमायी इलाकों में आते हैं और टंकी फुल करा नेपाल चले जाते हैं। वहां टंकी खाली कर फिर से भारतीय क्षेत्र में आ जाते हैं। इसी कारण सिद्धार्थनगर के सीमायी इलाकों में पेट्रो पदार्थो की भीषण किल्लत है।
इस बारे में डीएम सुरेन्द्र कुमार ने कहा है कि अब गैलन में तेल ले जाने पर रोक लगा दी गई है। लेकिन इससे क्या होगा। रोजाना नेपाल से 10 हजार मोटर साइकिलें केवल सिद्धार्थनगर जिले में टंकी फुल कराती हैं। यही हाल पूरे नेपाल सीमा पर है। इस पर कानूनी रोक लगा पाना असंभव हैं। जाहिर है कि नेपाल की दिक्कत की मार भारत को भी भुगतनी पड़ रही है।