मानवता के दुश्मन डाक्टर ने एचआईअीवी पीड़ित महिला को मेडिकल कलेज से भगाया
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। आम तौर से डाक्टरों को दुनियां में भगवान माना जाता है, लेकिन कभी कभार उनकी करतूतें इतनी काली हो जाती हैं कि उनकों शैतान कहा जाने लगता है। शोहरतगढ़ इलाके की एक एचआईवी पीड़ित महिला के प्रसव प्रकरण में यहां मेडिकल कालेज के जिम्मेदारों ने जो करतूत की उससे इंसानियत भी शर्मसार हो गई। एचआईवी का दूसरा स्टेज एड्स है। लेकिन यह छूत की बीमारी नहीं है। ऐसे में यदि डाक्टर ही इस रोग से डर कर भागने लगेंगे तो पीडित मानवता की सेवा कैसे हो सकेगी। हालांकि जिलाधिकारी ने इस मामले की जांच की बात कही है, लेकिन वह हो पायेगी, यह देखना शेष है।
बता दें कि शोहरतगढ़ तहसील की रहने वाली 21 वर्षीया एक महिला दूसरे बच्चे को जन्म देने के लिए मायके गई एक महिला को परीक्षण के दौरान पता चला कि वह एचआईवी पाजिटिव है। उसे प्रसव पीड़ा होने पर सीएचसी में दिखाया गया तो डॉक्टर द्वारा मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया। मेडिकल कॉलेज में वह पहुंची तो उसे एडस होने के कारण एमसीएच विंग के अंदर भर्ती नहीं किया गया। पूछने पर डॉक्टर ने अपने एक अधिकारी को जवाब दिया है कि एमसीएच विंग में एक ही लेबर रूम और एक ही ओटी है। यदि वहां एचआईबी पीड़ित महिला का प्रसव होगा उस ओटी में अन्य मरीजों का प्रसव नहीं हो पाता इसलिए रेफर किया गया। मरीज को भर्ती नहीं होने का मामला गायनिक डिपार्टमेंट के एचओडी के पास भी पहुंचा था, लेकिन वह भर्ती नहीं हो सकी।
बाद में उक्त महिला ने निजी अस्पताल में भर्ती होकर अपने दूसरे बच्चे को जन्म दिया। परिजन के अनुसार जच्चा बच्चा सुरक्षित हैं, लेकिन निजी अस्पताल में करीब 50 हजार रुपये बिल जमा करना पड़ेगा, क्योंकि उसके लिए अलग व्यवस्था की गई है। सूत्रों के अनुसार मेडिकल कॉलेज से जब उसे रेफर किया गया तो गेट पर ही बिचौलिए निजी अस्पतालों का रास्ता दिखाने लगे। हो सकता है कि निजी अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद वह शिकायत भी करें।
अब सवाल यह है कि जब निजी अस्पताल में ऐसी महिला का प्रसव हो सकता है तो मेडिकल कालेज में क्यों नहीं हो सकता। फिर मेडिकल कालेज की प्रसांगिकता ही क्या है। अगर मेडिकल कालेज के डाक्टर इतने संवेदनहीन और गैरजिम्मेदार हो सकते हैं तो फिर छोटे अस्पतालों से आप क्या उम्मीद कर सकते हैं।
इस बारे में जिलाधिकारी डॉ. राजा गणपति आर का कहना है कि मेडिकल कॉलेज में एचआईवी पॉजिटिव महिला का प्रसव कराया जाना चाहिए था। इस मामले की जांच की जाएगी। अब एक ईमानदार डीएम ने ऐसा कहा है तो देखना है कि इसका नतीजा क्या निकलता है।