…तो क्या पीस पार्टी व अयूब के लिए डुमरियागंज का चुनाव ‘वाटर लू’ का मैदान साबित होगा,
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। डुमरियागंज संसदीय सीट से पीस पार्टी के अध्यक्ष डा. अयूब ने अपने बेटे मो. इरफान को उम्मीदवार बनाया है, बावजूद इसके कहा जा सकता है कि इस सीट पर पीस पार्टी अपना रंग नहीं जमा पर रही। कहा जा सकता है कि शायद पीस पार्टी की अब तक की सबसे बुरी हालत का सामना करना पड़ रहा है। बहुत मुमकिन है कि डुमरियागंज इस बार पीस पार्टी के लिए वाटरलू हो जाये। जी हां, वाटर लू के मैदान में नेपालियन बोनापार्ट की शिकस्त के बाद ही उसकी राजनीतिक हैसियत शुन्य हुई थी।
पहले चुनाव में पांचवे नम्बर पर रही थी पीस पार्टी
डुमरियागंज लोकसभा सीट पर पीस पार्टी का यह तीसरा चुनाव है। वर्ष 2009 के चुनाव में यहां से जाबिर इनामुल्लाह चुनाव में उतरे थे। इन्हें कुल 79820 वोट मिले थे और यह पांचवे नम्बर पर रहे थे। इस चुनाव में उन्हें सार्वाधिक 28250 वोट डुमरियागंज विधानसभा क्षे़त्र से मिले थे। इसके अलावा शेष चारों विधानसभा क्षेत्रों से औसतन चौदह-चौदह हजार मत मिले थे जाबिर को मिले मत से ही बसपा प्रत्याशी मुहम्मद मुकीम की हार हुई थी, ऐसा टिप्पणकारों का मानना है।
2014 के चुनाव में खुद चौथे नम्बर पर रहे थे डा. अयूब
2014 के चुनाव में पीस पार्टी के अध्यक्ष ड़ा अयूब डुमरियागंज से खुद किस्मत आजमाने उतरे। तमाम ताकत लगा देने के बावजूद 99 हजार 252 वोट पाकर चौथे नम्बर पर रहे। इस चुनाव में भी उन्हें सबसे ज्यादा 30 हजार 59 मत डुमरियागंज विधानसभा क्षेत्र से मिले। शेष चारों विधानसभा से औसतन 17 के हिसाब से 69 हजार मत मिले। लेकिन इस बार लंड़ने का लगातार इरादा व्यक्त करने के बावजूद पार्टी अध्यक्ष ने अप्रत्याशित कदम उठाते हुए अपने बेटे मो. इरफान को उम्मीदवार बना दिया। उनके इस कदम को लोग उनकी पलायनवादी मानसिकता बताते हैं।
इस बार गांवों में नहीं दिखते पीपा के वर्कर और झंडे डंडे
अब जबकि मतदान में 5 दिन और रह गये हैं, परे क्षेत्र में पीस पार्टी की हलचल लगभग न बराबर दिखाई दे रही है। केवल डुमरियागंज विधानसभा क्षेत्र में पीस पार्टी के कुछ कार्यकर्ता सक्रिय हैं। डुमरियागंज के बाद उनका सबसे मजबूत गढ़ कपिलवस्तु क्षे़त्र था, मगर वहां पीस पार्टी को लेकर हलचल तो क्या चर्चा तक नहीं सुनाई पड़ती। पीस पार्टी कितना भी दावा कर ले, मगर उसके कार्यकर्ता, झंडे, वाहन गांवों में दिखाई नहीं पड़ रहे। मुस्लिम मतदसताओं का कहना है कि इस बार डुमरियागंज का चुनाव वीस पार्टी के लिए वाटर लू का मैदान साबित होगा।
सियासी पगड़ी बचाने के लिए बेटे को किया आगे?
दरअसल जाने जाने अनजाने मुस्लिम जनता में धारणा बैठ गई है कि पिछले दो दो चुनाव में मुस्लिम उम्मीदवार की हार का कारण पीस पार्टी द्धारा वोट काटना था। इस कारण डा. अयूब जब चुनावों के करीब आते ही जनता के बीच गये तो उन्हें अपनी कमजोर स्थिति का यहसास हो गया। लेकिन उन्हें चुनाव में पीस पार्टी की उपस्थिति दिखाने के साथ साथ अपनी सियासी पगड़ी भी बचानी थी। इसलिए अध्यक्ष के रूप में अपने को सुरक्षित रखते हुए बेटे को आगे कर दिया।