दारोगा जी घर नहीं बनने देंगे, आम अदमी तो बिना छत के भी रह सकता है
राजेश शर्मा
सिद्धार्थनगर के मिश्रलिया थाने में मुस्तफा ने बडे अरमानों से एक आशियाना बनाने बनाने की सोचा था। कमा कर चार पैसे बनाये। फिर घर बनाने लगाए लकिन जब छत पडने को आई तो थानाध्यक्ष ने फरमान जारी कर छत रुकवा दी। अब गरीब कहां जाये?
मिश्रौलिया थानान्तर्गत मिश्रौलिया खालसा के मुस्तफा पुत्र मंसब की जमीन आरजी नम्बर 795 मोमिना खातून पत्नी अब्दुल कद्दूस के नाम अंकित है। मुस्तफा अपनी उसी जमीन पर मकान निर्माण करा रहा था। मकान तकरीबन बन चुका था। केवल छत लगाना बाकी थी। तभी उस पर पुलसिया गाज गिर गई।
खबर है कि पखवारा पहले गांव के ही कुछ लोगो ने निकट के थाने में आपत्ति दर्ज करा दी। जिस पर थानाध्यक्ष रामचन्द्र यादव ने छत लगाने पर रोक लगा दी। जबकि इस मामले पर एस डीएम इटवा रामसूरत पाण्डेय ने 19 सितम्बर को को स्पस्ट आदेश दिया हैए कि दारोगा मौके पर जाकर समस्या का तत्काल निराकरण करें। लेकिन थानाध्यक्ष के कान पर जू तक नही रेंग रही है
अब मुस्तफा अपनी फरियाद लेकर इधर उधर दौड़ रहा है ए मगर कोई सुनवाई नही हो रही है। मुस्तफा के मुताबिक गांव के कुछ थाना दलालों ने दरोगा जी को समझा दिया है कि वह पैसे वाला है। समझौता करने के नाम पर कुछ रकम एंठी जा सकती है। अब दारोगा जी उससे छत डालने के नाम पर लंबी रकम मांग रहे हैं।
दूसरी तरफ थानाध्यक्ष रामचन्द्र यादव पैसे की बात से इंकार करते हैं। उनका कहना है चुनाव का समय है। कार्रवाई करने से शांति भंग का खतरा है। इसीलिए चुनाव तक कोई कार्रवाई नहीं कर रहे। चुनाव बाद समाधान होगा।
सवाल है कि आखिर यह कैसी व्यवस्था है कि गरीब का मामला चुनाव के खात्मे तक लटकाया जा रहा है? क्या चुनाव के दौरान किसी प्रभावशाली के विवाद में भी यही कदम उठाया जाता है? यह एक अहम सवाल हैं।