exclusiveः डुमरियागंज सीट से सपा लड़ेगी चुनाव, चौंका सकता है टिकट देने का आधार
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। बदलते राजनीतिक परिवेश में अब यह स्पष्ट होता जा रहा है कि आगामी डुमरियागंज लोकसभा सीट इंडिया गठबंधन में सपा के हिस्से में जायेगी। क्योंकि कांग्रेस ने खुद ही कम सीटों पर लड़ने का इशारा का यूपी में सपा को गठबंधन का बडा भाई मानने की घोषणा कर दी है। खबर है कि कांग्रेस उत्तर प्रदेश की जिन 15 सीटों पर चुनाव लड़ने पर विचार कर रही है उसमें डुमरियागंज सीट शामिल नहीं है। इसे इस सीट पर सपा के चुनाव लड़ने के पक्के आसार बन गये हैं।
कांग्रेस से इस आशय का संकेत मिलने के बाद सपा ने अपनी महत्वपूर्ण सीटों एक दर्जन सीटों पर उम्मीद वार तय कर उन्हें क्षेत्र में काम करने का इशारा कर दिया है। उसे कुल 50 सीटों पर चुनाव लड़ना है जिनमें बाकी बची 40 सीटों पर उम्मीदवार तय करना है। इसमें से एक डुमरियागंज लोकसभा सीट भी है। जिस पर समाजवादी पार्टी को उम्मीदवार चयन करना है। मिली जानकारी के अनुसार इस सीट से वर्तमान में सपा के जिला अध्यक्ष व पूर्व विधायक लालजी यादव, सपा नेता इंजीनियर रामफेर यादव, महिला नेता विभा शुक्ला, रामकुमार उर्फ चिनकू यादव, पूर्व विधायक अनिल सिंह टिकट के तगड़े दावेदार हैं और अपने अपने स्तर से टिकट पाने का प्रयास भी कर रहे हैं।
इनमें जिलाध्यक्ष लालजी यादव, चिनकू यादव व पूर्व विधायक अनिल सिंह पार्टी पार्टी के पुराने नेता हैं। इन सबके अपने अपने पुराने सम्पर्क हैं। मगर इ. रामफेर यादव ने पिछले दो तीन वर्षों में पार्टी के शीर्ष नेताओं में अपनी पहुंच तेजी से बढ़ाई है। इसके अलावा विभा शुक्ल ने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष से अपनी निकटता स्थापित कर रखी है। इन सभी को विश्वास है कि सपा का टिकट अन्ततः उन्हे जरूर मिलेगा। इस बारें में इ. रामफेर यादव के समर्थक तो कहते हैं कि अगर पार्टी अगर ओबीसी समाज से प्रत्याशी बनाना चाहेगी तो वह टिकट की रेस के अग्रिम धावक बन कर निकलेंगे।
लेकिन इन सबसे इतर महत्वपूर्ण बात यह कि समाजवादी पार्टी प्रदेश की चुनावी रणनीति के मद्देनजर डुमरियागंज सीट को ले कर विशेष रणनीति बना रही है।जिसके तहत वह इस सीट से पूर्व विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय को चुनाव लड़ाने के विषय में गंभीरता से विचार कर रही है। बताते हैं कि पार्टी के कई शीर्ष नेताओं ने माता प्रसाद पांडेय के लड़ने पर हार की स्पष्ट आशंका व्यक्त की है। दनका मानना हैकि इस सीट से माता प्रसाद कई चुनाव हार चुके हैं। सो उन्हें चुनाव ल़ाने का मतलबनयिचत हार जाना होगा। मगर अखिलेश यादव सहित पार्टी के शीर्ष के रणनीतिकारों मानना है कि सवाल हार जीत का नहीं है। यहां से माता प्रसाद पांडेय जैसे दिग्गज को चुनाव लड़ाने से पूरे प्रदेश के ब्राहम्ण वर्ग में एक विशेष मैसेज जाएगा। जो सवर्ण वोटों को रोकने के लिहाज से पार्टी के लिए बेहद फायदेमंद होगा। ऐसे में हार की डर से इतने महत्वपूर्ण निर्णय को बदलना मुनासिब न होगा।
वैसे लोकसभा चुनाव अब चुनाव करीब हैं। ऐसे में सपा नेता लगातर टिकट पाने के लिए अपने स्तर से प्रयास करने लगे हैं। इसके उलट माता प्रसाद पांडेय अभी तक चुनाव न लड़ने की बात कहते जा रहे हैं, परन्तु राजनीति में अक्सर वह नहीं होता जो सामने से दिखता है। इसलिए अंतिम निर्णय क्या होगा? यह अतीत के गर्भ में है।