सिर्फ सिपाही ही नहीं दारोगा को भी सजा दीजिए जनाब, तब होगा हत्याओं, डकैतियों का पर्दाफाश
नजीर मलिक
जिले में पड़ डकैतियों और हत्याओं का राज खोलने में पुलिस नाकामयाब है। एक पखवारे में तीन हत्याओं और तीन डकैतियों का सुराग अब तक नही लग पाया है। चोरियों की तो बात ही अलग है। हां दारोगाओं की जान बख्शी के लिए कुछ सिपाहियों को बलि का बकरा जरूर बनाया गया है।
याद रहे कि दापावली के दो दिन पूर्व बढ़नी टाउन में पड़ी डकैती में बदमाशों ने धनश्याम गुप्ता और उनकी पत्नी माधुरी की हत्या कर दी थी। इस घटना के खुलासे में पुलिस अब तक विफल है। इस घटना से टाउन के लोग अब तक भयभीत हैं।
जनता इसे लेकर दुखी है। आक्रोश के स्वर उभरने लगे हैं। यह देख पुलिस प्रशासन ने ढेबरूआ थाना पुलिस चौकी बढनी के दस सिपाहियों को लाइन हाजिर का लोगों के गुस्से को शांत करने की कोशिश की, मगर जनता का गुस्सा अभी तक शांत नहीं हुआ है।
दूसरी तरफ दीपावली के दूसरे दिन जिला हेडर्क्वाटर के भीमापार में भी बदमाशों ने डकैती के साथ मुखिया नामक व्यक्ति की हत्या कर दी। उसका हत्यारा कौन है तथा हत्या का मोटिव क्या था, इसका खुलासा अभी तक नहीं हो सका है।
इस घटना के तत्काल बाद बांसी शहर के अम्बेडकर नागर वार्ड में एक कर्मी के घर पड़ी डकैती का मामला भी रहस्य के घेरे में है। थानाध्यक्ष ने तो इसे चोरी की घटना कह कर प्रकरण को ही महत्वहीन बना दिया है।
बढ़नी की घटना के बारे में थानाध्यक्ष का कहना है कि जांच चल रही है। लेकिन पुलिस किस तरह की जांच कर रही है। इसका जवाब उनके पास नहीं है। सिद्धार्थनगर के थानाध्यक्ष शिवाकांत इसे लोकल झगड़ा बताते हैं, अगर ऐसा है तो हत्यारे कहां हैं?
जिले में चोरियों की बाढ आई हुई है। बढनी, इटवा, लोटन वगैरह हर थाने की पुलिस इन चोरियों का पर्दाफाश करने में विफल है। सिद्धार्थनगर थाने के एसओ शिवाकांत मिश्र ने एक घटना में वास्तविक चोर को पकड़ कर अपनी इज्जत को बचाने में थोड़ी कामयाबी जरूर हासिल की है।
जहां तक एसपी का सवाल है उनका कहना है कि लाइन हाजिर किए गये सिपाहियों पर दूसरे अन्य चार्ज भी थे। इसलिए उन्हें सजा दी गई, मगर सवाल है फिर हत्या जनित डकैती का राज खेलने में नाकामयाब दारोगाओं के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं?