तो क्या? प्रदीप सिंह ,एक्सईएन को दे रहे थे फर्जी वारण्ट की धमकी…
अजीत सिंह
सिद्धार्थनगर। प्रांतीय खण्ड लोक निर्माण विभाग के पूर्व एक्सियन चन्द्रशेषर प्रसाद गुप्ता के ऊपर प्रदीप कुमार सिंह द्वारा दाखिल परिवाद संख्या 792/2016 थाना व जनपद सिद्धार्थनगर धारा 323 व 504 में एस पी फैजाबाद को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा नोटिस वारण्ट तामिला के लिये लिखा गया पत्र फर्जी प्रतीत हो रहा है। चूंकि उक्त वाद अक्टूबर 17 में ही न्ययायलय द्वारा खारिज किया जा चुका है। इस प्रकरण में एक्सईएन ने कहा है कि फर्जी सीजेएम की चिटठी और मानसिक प्रताड़ना काे लेकर मानहानि का दावा करूंगा।
प्रदीप कुमार सिंह ने न्यायालय में पीडब्ल्यूडी के पूर्व एक्सियन जो इस समय फैजाबाद में पोस्ट हैं पर मारपीट का एक परिवाद दाखिल किया था जिसे सीजेएम द्वारा फौजदारी वाद संख्या 4385/2016 दिनांक 27/10/2017 को खारिज कर दिया गया था।
पांच माह बाद 12 मार्च 2018 को एक पत्र ऐसा सामने आया जिसमें सीजेएम द्वारा एसपी फैजावाद को लिखा गया है कि गैर हाजिर चल रहे एक्सियन सीपी गुप्ता को 13 अप्रैल 2018 तक वारंट तामिला कराना सुनिश्चित करें।
इस मामले में अब नया मोड़ आ गया है। पिछले 23 मई को सीजेएम कोर्ट में एक सवाल जवाब दखिल हुआ और उसमें उक्त वाद तथा उक्त नाम से कोई मुकदमा लम्बित या विचारा धीन है का सवाल पूछा गया है जिस पर न्यायाला मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने 28 मई को अपने जवाब में लिखा है कि उक्त मुकदमा नम्बर व नाम का मेल नहीं है।
सवाल है- सीजेएम का दस्तखत फर्जी है या सही
अब सवाल है कि दोनों पत्र और कोर्ट द्वारा सवाल जवाब सब सामने है। अखिर इसमें से कोई पत्र फर्जी है तो सीजेएम का साइन कौन किया है। सवाल जवाब में जो लिखा है उससे तो यही प्रतीत होता है कि सीधा सीधा लिखा है उक्त धारा व नाम का उक्त वाद संख्या और नाम का कोई मेल नहीं है। अर्थात कोई ना कोई एक पत्र फर्जी है। विषय सोचनीय है चूंकि मामला मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के आर्डर संबधी पत्र जारी हुआ है।
एक्सईएन ने कहा
कपिलवस्तु पोस्ट से हुई वार्ता में पीडब्ल्यूडी के पूर्व अधिशाषी अभियंता सीपी गुप्ता ने कहा कि मैं माननीय सीजेएम जी की अदालत में उनके साइन की फर्जी चिटठी पेश करूंगा। कयोंकि उसी चिटठी को दिखा कर मेरी छवि को धूमिल किया जा रह है के अलावा फर्जी मुकदमा दर्ज कराने और वारंट जारी करने को लेकर मैं मानसिक पीड़ा से आहत हूं। जबकि प्रदीप सिंह द्वारा दायर परिवाद को माननीय मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा खारिज किया जा चुका है। अब मैं मानहानि का दावा करूंगा।