प्रवासी मजदूरों के सम्मान के लिए 10 राज्यों की पैदल यात्रा कर रहे नरेश सीजापति
ऐसी वोटिंग व्यवस्था हो कि जो मजदूर जिस राज्य में मजदूरी कर रहा हो उसे वहीं वोट डालने का अधिकार मिले
अब तक 48 दिनों में दस राज्यों की लगभग 2300 किमी. पैदल यात्रा कर चुके हैं नरेश, सिद्धार्थनगर से बलरामपुर जाएंगे
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। प्रवासी मजदूरों के सम्मान जनक जीवन के मकसद को लेकर 10 राज्यों के 5100 किमी के पदयात्रा के लक्ष्य को लेकर निकले गुजरात के नरेश सीजापति महाराष्ट्र से गुजरात मध्यप्रदेश छत्तीसगढ़ झारखंड बिहार उत्तर प्रदेश हरियाणा राजस्थान गुजरात की पैदल यात्रा पर है। यात्रा करते हुए वे कल सायं सिद्धार्थनगर पहुंचे। सीजापति भारत के अति प्रवासी मजदूर वाले राज्यो में पैदल यात्रा कर उन राज्यों में प्रवासी मजदूरों को करीब से जानना और उनके अधिकारों के लिए आवाज उठाने के लिए संकल्पित हैं। नरेश सीजापति 48 दिनों में 6 राज्यों के लगभग 2300 किमी तक पदयात्रा कर गत सायं सिद्धार्थनगर पहुंचे हैं। उन्होंने मुंबई से अपनी पदयात्रा शुरू कर गुजरात के 9 जिला, मध्यप्रदेश के 13 जिला, छत्तीसगढ़ के जंगल के साथ 5 जिला, झारखंड के 4 जिला होते हुए बिहार में प्रवेश किया था।
नरेश बिहार के चार जिलों से होते हुए मोतिहारी पहुंचे और वहां से गोरखपुर, महाराजगंज होते हुए सिद्धार्थनगर पहंचे हैं। यहा से वह बलरामपुर, लखनऊ होते हुए दिल्ली जाएंगे। नरेश सीजापति ने बताया कि दिल्ली में वह धरने पर बैठ कर प्रवासी मजदूरों की समस्या से प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को अवगत कराएंगे। उनकी सर्वप्रथम मांग है कि सभी का राष्ट्रीय वोटर लिस्ट बने और बनाये तथा जो प्रवासी मजदूर जिस शहर में हो वहीं उसको वोट देने की व्यवस्था करे। इससे प्रवासी मजदूरों की राजनतिक शक्ति बढ़ेगी।
उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश छत्तीसगढ़ झारखंड बिहार उत्तर प्रदेश हरियाणा राजस्थान आदि राज्यो में प्रवासी मजदूरों की संख्या ज्यादा है। इन्ही राज्यो से प्रवासी मजदूर गुजरात, महाराष्ट्र, दिल्ली जैसे बड़े राज्यों में अपनी आजीविका की खोज में प्रवास पर जाते है। इस लिए सभी राज्य के जिलों का पदयात्रा करते हुए फिर वहीं पर अपनी पदयात्रा गुजरात में खत्म करेंगे। 48 दिनों के अपनी पदयात्रा को सफल बताते हुए नरेश ने बताया कि इस बीच वह कई मंत्री, जनप्रतिनिधि और बुद्धिजीवियों से मिल कर प्रवासी मजदूरों की समस्या को उनके सामने रखा। वह सुबह जिस भी शहर/टाउन में होते हैं, मजदूर चौक पर जाकर उनके हक अधिकार के प्रति जागृत करते है और डिस्ट्रिक्ट के जिला अधिकारी से मिलकर समस्या की जानकारी देने की कोशिश करते है।
नरेश सीजापति का परिचय
मूल रूप से नेपाल के कर्णाली प्रदेश के दैलेख जिला के रहने वाले नरेश सीजापति के माता पिता कई साल पहले सपरिवार गुजरात के अहमदाबाद में जाकर बस गए। नरेश का बचपन बहुत ही विकट परिस्थितियों में गुजरा। फिलहाल वह पनाह फाउंडेशन बना कर इसके बैनर तले सामाजिक कार्य करते हैं। यह संस्था लगातार प्रवासी मजदूरों के समस्या के समाधान के लिए प्रयासरत रहता है। साथ ही यह संस्था जरूरतमंद बच्चों को शिक्षा और कानूनी सहायता प्रदान करती है। दो बच्चियों के पिता नरेश सीजापति का मजदूरों के लिए बहुत बड़ा सपना है। लॉकडाउन में प्रवासी मजदूरों के लिए फ्लाइट टिकट, ऑक्सीजन, राशन, ऑटो एंबुलेंस जैसी बहुत सारी सेवा प्रदान कर लगभग 2.25 करोड़ रुपये से ज्यादा का रिलीफ वर्क प्रवासी मजदूरों के लिए किया था।
पदयात्रा का उद्देश्य
नरेश सीजापति ने कहा कि प्रवासी मजदूरों की सूची किसी राज्य के पास मौजूद नही रहता है। नरेश ने कहा मजदूर किस राज्य से मजदूरी करने किस राज्य में जा रहा है इसकी सूची दोनों राज्यों से किसी राज्य के पास नही होता है। जिससे ठेकेदारी प्रथा को बढ़ावा मिल रहा है। बड़े बड़े कार्पोरेट घरानों द्वारा ठेकेदारों से मिल प्रवासी मजदूरों का शोषण किया जा रहा है। मजदूरों को कंपनी द्वारा मिलने वाली सुविधा से वंचित होना पड़ता है। ज्यादातर राज्यो में प्रवासी मजदूरों के लिए सरकारी योजना या सामाजिक सुरक्षा उपलब्ध नहीं है।
नरेश सीजापति ने बताया कि वह प्रवासी मजदूरों की सूची बनाना चाहते हैं जिससे उनको कार्य करने वाली जगहों पर सारी सुविधा मिल सके और प्रवासी मजदूरों का शोषण बंद हो ये उनका मुख्य उद्देश है। भारत के दस राज्यो में घूम कर अलग अलग प्रकार के प्रवासी मजदूरों से मिलकर गांव में जाकर प्रवासी मजदूरों और उनके रहन सहन और उनके अनुभव के बारे में जानना और समझना उनका एक उद्देश्य है।