मधेसी सांसदों ने मांगी दिल्ली से मदद, बोले मधेस प्रांत से कम पर कोई समझौता नहीं
नज़ीर मलिक
“नेपाली संगठन संयुक्त लोकतांत्रिक मधेसी मोर्चा के दो सांसदों समेत तकरीबन एक दर्जन नेताओं ने यहां डुमरियागंज के सांसद जगदम्किा पाल के साथ संयुक्त प्रेस कानफ्रेंस में साफ कहा कि नेपाल में थरूहट और मधेस प्रांत के गठन के बिना उनका आंदोलन रूकने वाला नहीं है। बाद में में भाजपा सांसद जगदम्बिका पाल ने उनका ज्ञापन लेकर मधेसी समुदाय की आवाज को केन्द्र सरकार तक पहुंचाने का आश्वासन दिया”
होटल सत्कार पैलेस में आयोजित प्रेस कान्फ्रेंस में सांसद अभिषेक प्रताप शाह, सांसद व पूर्व मंत्री बृजेश गुप्ता, पूर्व सांसद व मौजूद संविधान निर्माण समिति के सदस्य नरसिंह चौधरी ने कहा कि अंग्रेजो की कूटनीति के बाद से ही नेपाल में मधेसी बेगाने हो गये हैं। जनसंख्या में 51 प्रतिशत होने के बावजूद पहाडी समुदाय शासक बना हुआ है। नौकरियों में उनके लिए स्थान नहीं है। सेना में भागीदारी शून्य है। प्रस्तावित संविधान में अंगीकृत नागरिकता कानून बनाकर उन्हें राष्ट्रीय हक से काटा जा रहा है।
तीनों नेताओं ने कहा कि प्रस्तावित संविधान में ऐसी व्यवस्था की जा रही है, जिससे भविष्य में मधेसी या थारू समाज प्रगति नहीं कर पायेगा। सदन के उपरी और निचले सदन में क्रमशः 51 व 165 सांसदों में इस व्यवस्था के तहत 50 मधेसी भी नहीं पहुंच पायेंगे।
अभिषेक शाह, बृजेश गुप्ता व नरसिंह चौधरी ने कहा कि जनसंख्या के आधार पर सहभागिता सुनिश्चित करने के लिए मधेस प्रांत का गठन उनकी मुख्य मांग है। इसके लिए हर मधेसी शहीद होने को तैयार है। नेपाल में सात बार संविधान निर्माण टाला गया है, आठवीं बार भी शासक वर्ग को संविधान निर्माण टालना ही पडे़गा।
अंत में अपने संबोधन में सांसद जगदम्बिका पाल ने कहा कि नेपाली संविधान में जनसंख्या के हिसाब से सबको प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए। वहां एक ऐसा संविधान हो जो सारे वर्ग की भावना के अनुरूप हो। उन्होंने आश्वासन दिया कि वह मधेसी समाज की आवाज केन्द्र तक पहुंचाएंगे और उनकी समस्या का हल कराने की कोशिश करेंगे। प्रेस वार्ता में मधेसी नेता सहसराम यादव अभय प्रताप शाह, शैलेष प्रताप शाह आदि भी भागीदार रहे।