यूपी में सपा फिर से मुस्लिम आरक्षण पर दांव लगाने की तैयारी में
––– इस बार केन्द्र सरकार को प्रस्ताव भेजने की तैयारी, मुलायम बोले, मुसलमानों के साथ नहीं हुआ न्याय
एस दीक्षित
लखनऊ। चुनावी साल में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश में मुसलमानों के लिए आरक्षण का दांव खेलने जा रही है। उनके लिए 13.5 फीसद आरक्षण की मांग करते हुए उत्तर प्रदेश की अखिलेश सरकार जल्द ही संविधान संशोधन का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजेगी।
उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी ने 2012 के विधानसभा चुनाव में मुसलमानों को उनकी आबादी के हिसाब से आरक्षण देने का वादा किया था। अब तक इस दिशा में खामोशी थी। अलबत्ता विकास योजनाओं में अल्पसंख्यकों को 20 फीसद हिस्सेदारी का निर्णय लिया गया, किंतु यह फैसला रफ्तार नहीं पकड़ सका। अब चुनावी साल में अखिलेश सरकार अल्पसंख्यकों को सामाजिकए आर्थिक और शैक्षिक स्तर पर पिछड़ा मानते हुए आरक्षण और उसमें मुसलमानों को अति पिछड़ा मानते हुए 13.5 फीसद आरक्षण दिलाने की कवायद में जुट गई है।
सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ स्पष्ट कर चुकी है कि 50 फीसद से अधिक आरक्षण नहीं दिया जा सकता। इस कारण समाजवादी पार्टी की सरकार संविधान संशोधन का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजेगी। सूत्रों का कहना है कि राज्य सरकार की ओर से तैयार हो रहे प्रस्ताव में न्यायमूर्ति रंगनाथ मिश्र व न्यायमूर्ति राजेंद्र सच्चर की संस्तुतियों को आधार बनाया जा रहा है। सच्चर कमेटी ने मुसलमानों की हालत दलितों से भी बदतर मानी थी।
समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने भी शुक्रवार को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की मौजूदगी में कहा था कि मुसलमानों के साथ न्याय नहीं हुआ, वे विकास में पिछड़ गए हैं। सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक स्तर पर उनको अधिकार दिलाने की जरूरत है। सरकार को इस पर और गंभीरता से कार्य करना चाहिए। मुसलमानों का सपा और उसकी सरकार पर सबसे अधिक भरोसा है।
सूत्रों का कहना है कि मुलायम के इस बयान के बाद संविधान संशोधन का प्रस्ताव तैयार कर अधिकारियों को जल्द से जल्द कार्य पूरा करने की हिदायत दी गई है। इस संबंध में सपा प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा कि यह मुद्दा हमारे घोषणा पत्र का हिस्सा था। हम उस दिशा में हर संभव प्रयास करेंगे।
उल्लेखनीय है कि पिछले विधानसभा चुनाव से पहले आंध्र प्रदेश सरकार ने और पिछले लोकसभा चुनाव में मनमोहन सरकार ने भी मुसलमानों को आरक्षण देने की तैयारी की थी। लेकिन देश की अदालतों ने इसे असंवैधानिक करार देते हुए इन पर रोक लगा दी थी।