डुमरियागंज एक्सीडेंटः इकलौते बेटे की मौत का गम क्या होता है, राकेश से पूछिए
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। नगरपंचायत डुमरियागंज के शाहपुर में गरीब राकेश के घर में अभी भी रह रह कर सिसकियां रूदन मे बदल जाती है। राकेश तो गुम सुम हैं मगर उसकी की पत्नी रह रह कर पछाडें खाती है। उनके जवान बेटे राहुल की मौत को अभी 36 घंटे ही बीते हैं। मगर लगता है कि हादसा जस्ट अभी ही हुआ है। राकेश के घर के करीब में ही राप्ती नदी का श्मशान घाट है। जो हमेशा पति पत्नी की नजर में आता है, इससे उन्हें अपने जवान बेटे की स्वाभाविक रूप से याद आ जाती है। यही बात उनके लिए सर्वाधिक पीड़ाजनक है।
यों तो राकेश का घर इसी क्षेत्र के ग्राम करौता में था। मगर डुमरियागंज कस्बे में शादी होने तभा रोजगार के मद्देनजर वह भी नगर पंचायत के क्शाहपुर कस्बे में ही रहने लगा। यहीं उसके बेटे राहुल का जन्म हुआ जो गत सोमवार की रात 20 साल की उम्र में कुदरत के कहर का शिकार होकर एक ट्रक एक्सीडेंट में जान गवां बैठा। इससे तिनके तिनके जोड़ कर नीड़ बनाने की कोशिश में जुटे राकेश और उसकी पत्नी एक बार फिर बेसहारा हो गये। राहुल राकेश और अपनी मां का इकलौता बेटा था। उन लोगों ने उसे गरीबी में बड़ी मुश्किल से पाला पोसा था। वह समझदार इतना की 18 साल की उमर से पहले ही वह डुमरियागंज में फल का ठेला लगा कर परिवार को अर्थिक मदद करने लगा था।
राहुल का रूझान और मेहनत देख उसके मां बाप को भविष्य संवरने की उम्मदिें जग गईं थी। अब तो मां राहुल के बच्चों की कल्पना में खोने लगी थी। मां को पूरी उम्मीद थी कि राहल की कमाई से जल्द ही उसके अच्छे दिन आएंगे। जहां उसके पिता राकेश को बढ़ती उम्र में मेहनत कर अपनी हउि्डयां नहीं गलानी पड़ेंगी। लेकिन यह सब उनके सपने थे जो अक्सर पूरे नहीं होते। राकेश के साथ भी ऐसा ही हुआ और उनका बेटा राहुल खुद ही उनके लिए सपना बन गया। दरअसल डुमरियागंज मंदिर तिराहे पर फलों का ठेला लगाने वाल राहुल सोमवार की देर शाम घर वापस लौट रहा था। अभी वह खीरामंडी के निकट पहुंचा ही था कि सामने से आती हुई एक ट्रक ने उसे रौंद दिया।
हालांकि पुलिस ने चालक को जेल भोजने में कामयाबी हासिल कर ली है लेकिन सवाल है कि राहुल की मौत के बाद उसके मां बाप का क्या होगा? राहुल के न रहने से उसके परिवार पर फिर अर्थिक परेशानियों का पहाड़ टूट पड़ा है। उस दुखी परिवार को केवल सहानुभूति ही नहीं अर्थिक स्थायित्व की भी बेहद जरूरत है। इसलिए नगर पंचायत अध्यक्ष, विधायक और सांसद आदि को इस पहलू पर विचार करना चाहिए।