रोटी बिना मरने के कगार पर है मुड़िलावासी, मगर सरकार की नजरों में प्रदेश के नागरिक ही नहीं

April 4, 2020 12:43 PM0 commentsViews: 211
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ओजैर खान

बढ़नी, सिद्धार्थ नगर। लाकडाउन में नगर पंचायत बढ़नी से सटे मुड़िला डीह के  गरीब परिवार भूखे रहने को मजबूर हैं। लाकडाउन के कारण उनके घरों में रायान नहीं बचा है। एक तकनीकी कारण से पूरे गांव को कोई सरकारी मदद भी नहीं मिल पा रही है। यानी पूरा गांव सरकारी मदद से वंचित है और उनके सामने भुखमरी का संकट खड़ा हो गया है।

बता दें कि  पूरे मुडीला डीह  के लोग दैनिक मजदूरी करके अपनी जीविको पार्जन करते थे,  लेकिन इस संकट की घड़ी में उनका कोई सुनने वाला नहीं है। बताते हैं कि वहां के लोग न तो किसी गांव के माने जाते हैं, न ही नगर पंचायत भी उनको अपने क्षेत्र का नागरिक मानती है।उनके पास आधार कार्ड है वोटर कार्ड है, लेकिन वर्तमान में उनको किसी को अपना मत देने का अधिकार ही नहीं है।  वो लोग अपना मत देने से वंचित हैं । इसलिए उनके डीह के लोगों का कोइ सुनने वाला ही नहीं है।  उन लोगों के पास राशन कार्ड भी नहीं है ।

बताया जाता है कि उनके पास  पुराने राशन कार्ड हैं, जो नगर पंचायत बढ़नी के वार्ड नंबर 1 से बने थे, लेकिन अब उन राशन कार्डों पर गल्ला भी नहीं मिलता है।  वो लोग अपनी पहचान खो चुके हैं कि वो कहां के हैं? उन्हें न नगर पंचायत बढ़नी अधिकृत नागरिक मानती है, न ही किसी ग्राम पंचायत ही उनको रिकगनाइज करती है।

गाव के लोगों का कहना है कि हम लोग पहले नगर पंचायत बढ़नी में वोट देने जाते थे लेकिन वर्तमान में हम लोगों को नगर पंचायत की सूची से बाहर कर दिया गया है हम लोगों को किसी भी सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता है, न आवास, न पेंशन, न राशन ना और भी कोई लाभ। इस संकट की घड़ी में हम लोगों के साथ भगवान के अलावा और कोई नहीं है। डीह निवासी ऊषा देवी गुमटी में चाय बेचती हैं उनका कहना लॉक डॉउन में बंदी की वजह से हमारे बच्चे आज दो दिनों से भूखे है,

अनार देवी जो आस पास के गांवों में जाकर सिल लोढ़ा छिनती है उनका कहना है कि हमारे घर में कोई कमाने वाला नहीं है। हम रोज जाकर आस पास के गांव से काम करके 100 पचास कमा कर राशन लेकर आते थे, तब हमारे घरों में खाना बनता था। मगर जबसे लाकडाउन हुआ है तब से हमारे घर में चूल्हा ही नहीं जला है।

परमात्मा प्रसाद, वकील, रामू, अजय, शहजादे, श्यामू, कल्लू आदि का कहना है कि हम लोग बाज़ार में जाकर मजदूरी करते थे 250 रुपए मिलते थे उसी से राशन सब्जी लाते थे तभी  हमारे घर में खाना बनता था। लेकिन अब ना राशन बचा है और ना ही पैसे, अब हम लोगों के लिए काफी समस्या हो जाएगी।

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