समीकरण बरकरार रहे तो परिणाम हो सकते हैं अश्चर्यजनक, हवा बदली तो मुकाबला सीधा संभव
नजीर मलिक
चुनाव मतदान की तारीख नजदीक आने के बावजूद शहर सीट की चुनावी राजनीति अभी भी स्पष्ट मोड़ पर नहीं पहुंच सकी है। वर्तमान में मत विभाजन के बनते-बिगड़ते समीकरण से शहर का सियासी रूख भांपने का प्रयास कर रहे राजनीतिक जानकारों के लिए यह अबूझ पहेली बनती जा रही है। फिलहाल जाति और वर्ग में बंटी चुनावी सियासत में विकास के मुद्दे पीछे छूटते दिखाई दे रहे हैं। प्रतिदिन बदलते राजनीतिक समीकरण पर लगातार निगाह रखे जानकारों का कहना है कि वर्तमान में सभी प्रत्याशियों की आज की हालत ही दो दिन और भी रह गई तो जो जहां है, का चुनाव परिणाम अप्रत्याशित होगे। फिलहाल तो प्रत्याशीगण वर्ततान समीकरण को बदल कर चुनावी संतुलन अपने पक्ष में करने के प्रयास में लगे हैं।
जिला मुख्यालय यानी सदर नगरपालिका क्षेत्र के सभी चौराहों व दुकानों पर तेज हो रही चुनावी चर्चा में विकास के मुद्दे सिर्फ मोहल्ले और घर के आसपास तक ही सीमित हो गए हैं। शहर के शास्त्रीनगर मोहल्ला में चाय पर चर्चा करते हुए कलीमुल्लाह कहते हैं कि अभी तक चुनाव की तस्वीर साफ नहीं हो पाई है, अगर वर्तमान स्थिति ही बनी रही तो परिणाम अप्रत्याशित हो सकते है। वहीं गुल्लू का कहना था कि वर्तमान में विकास का मुद्दा गौड़ हो चुका है।
क्या कहते हैं मतदाता
आजाद नगर वार्ड के रेहान अहमद कहते हैं कि अब चुनाव में प्रत्याशियों की जीत हार का मानक जाति और वर्ग विशेष के मतदाताओं की रूझान पर निर्भर हो गया है। रहमान जमाल का कहना था कि चुनाव में अंतिम समय में समीकरण बनते-बिगड़ते है, ऐसे में अभी कुछ कहना मुश्किल होगा कि किसका पलड़ा भारी है। बनवारी लाल ने कहा कि अभी तक चुनावी परिद्श्य बहुत साफ नहीं है, इसलिए कुछ कहना जल्दबाजी होगी, लेकिन अगर जो जहां है, वहीं रह गया तो वाकई में परिणाम अप्रत्याशित आएगा। हो सकता है कि जिसे लोग तीसरे चौथे पर नंबर पर लोग मान रहे हैं, वहीं सबसे अधिक मत पा जाए। चुनावी चर्चा पर विराम लगाते हुए कहते हैं कि कुछ जातियों व वर्ग के मत ध्रुवीकरण ही अंतिम समय में परिणाम तय करेंगे, अभी इस पर चर्चा करना बेमानी है।
गत समीकरण और मौजूदा परिदृश्य
याद रहे कि पिछले निकाय चुनाव 2017 में नगर पालिका सिद्धार्थनगर से अध्यक्ष पद के भाजपा प्रत्याशी श्याम बिहारी जायसवाल को 5228 मत और निर्दल फौजिया आजाद को 4595 मत मिले थे। 633 मत से फौजिया पराजित हुई थी। जबकि सपा के संजय कसौधन समेत अन्य प्रत्याशी चुनावी जीत की दौड़ में बहुत पीछे थे।
इस बार भाजपा ने गोविंद माधव यादव को प्रत्याशी बनाया है तो सपा ने रामसेवक लोधी को मैदान में उतारा है। इस बार दोनों पार्टियों के प्रत्याशी के एक दूसरे के कोर वोट में सेंधमारी कर सकते हैं। अबकी बार जहां श्याम बिहारी निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतरे हैं, वहीं फौजिया के पति गुलाम नबी आजाद ने आजाद समाज पार्टी से चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि बसपा के टिकट पर राकेश दत्त त्रिपाठी मैदान में हैं। पूर्व ब्लॉक प्रमुख श्रीमती संजू सिंह पत्नी राजू सिंह के पास काफी जनाधार देखने को मिल रहा है, कांग्रेस से हरिशंकर लाल श्रीवास्तव सहित अन्य प्रत्याशियों के बीच वोटों का बंटवारा हो रहा है। इसलिए इस बार सदर क्षेत्र के समीकरण बहुत गडमड है जो आगे अश्चर्यजनक भी हो सकते हैं। वर्ना मुकाबला दो बडे दलों के बीच ही होगा।