पूरा जिला सैलाब की चपेट में, चार लोग बाढ़ में बहे, 6 सौ गांव पानीसे घिरे, पीएसी लगाई गई
––– 22 मोटरबोटों के साथ एनडीआरएफ की टीम और पीएसी की दो कम्पनियां राहत बचाव में लगीं
––– सिद्धार्थनगर–गोरखपुर मार्ग बन्द, शाहपुर– सिंगारजोत मार्ग पर कई फुट पानी, 50 ग्रामीण सड़कें डूबीं
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर मुख्यालय पर पुरानी नौगढ़ के करीब उफनती जमुआर नदी
सिद्धार्थनगर। राप्ती नदी के खतरे के निशान से ऊपर चले जाने से जिले में बाढ़ की हालत विकराल हो गई है। इसका प्रकोप डुमरियागंज में भी जबरदस्त हो गया है। वर्तमान में जिले के लगभग 6 सौ गांव पानी से घिर गये हैं। सिद्धार्थनगर– गोखपुर मार्ग और शाहपुर– सिंगारजोत मार्ग भी पानी में डूब गया है। प्रशासन ने हालात का मुकाबले करने के लिए दो कम्पनी पीएसी बुला ली है। सब से बुरी हालत राहत की है। गांवों में लोग भूख से व्याकुल है।
मिली जानकारी के मुताबिक जिले की सभी नदियों के डैंजर लेबिल पार कर जाने से जिले में बाढ़ की हालत विकराल हो गई है। राप्ती नदी खतरे के निशा नसे पचास सेंमी ऊपर बह रही है। यह 1998 के जल स्तर से थोड़ा कम है। बाकी सारी नदियां खतरे के निशान से औसतन डेढ़ मीटर ऊपर चल रही हैं। राप्ती के डैंजर लेबिल पार करने से खतरा बढ़ जाता है। राप्ती की बाढ़ ने बांसी इलाके में पनघटिया, भगौतापुर, बंजरहा, मुड़िला, भवारी, आदि सौ गांवों को मुसीबत में फंसा दिया है। इसी प्रकार राप्ती की बढ़ से शाहपुर, सिरसिया, नेबुआ, सोनखर, मछिया, आदि सौ से अधिक गांव पानी से घिरे हैं।
– गोरखपुर और सिंगार जोत मार्ग बंद
राप्ती नदी की बाढ़ से डुमरियागंज के पास शाहपुर– सिंगर जोत मार्ग पर लगभग तीन फुट पानी चढ गया है। लिहाजा इस मार्ग पर आवागमन बंद हो गया है। इधर बूढ़ी राप्ती का पानी मुख्यालय के पकड़ी चौराहे के पास सडक पर चढ़ गया है। यह पानी करीब तीन किमी तक सड़क पर बह रहा है। इससे सिद्धार्थनगरसे गोरखपुर का का सड़क मार्ग बंद हो गया है। मुख्यालय वासियों के रेल मार्ग छोड कर बाहर निकलने के सभी रास्ते बंद हो गये हैं।
सिद्धार्थनगर–बस्ती एनएच रोड पर जोगिया के पास डूबीसड़क से पैदल निकलते लोग
– चार लोग पानी में बहे
बाढ़ के विकराल होने के साथ ही लोगों के डूब कर मरने का सिलसिला शुरु हो गया है। खबर है कि जोगिया उदयपुर निवासी 45 साल के अखिलेश पांउेय की बाढ़ में डूबने से मौत हो गई। अखिलेश सामान खरीदने के लिए तैर कर बाहर जाना चाह रहे थे। इसी प्रयास में वह डूब गये। इसी प्रकार त्रिलोकपुर थाना क्षेत्र के सिकटा के 55 साल के धनई की तैर कर घर लौटते समय डूब कर मौत हो गई। उनके तीन और साथी किसीतरह बच गये। कठेला इलाके के नावडीह टोला बेलहर के जब्बार के 16 साल के बेटे सोनू की बाढ़ में डूबने से मौत हो गई। वह बाढ़ में फंसा था। बाहर निकलने के प्रयास में उसे जान देली पड़ी। हालांकि इटवा क्षेत्र में एक और मौत का समाचार है लेकिन इसकी पुष्टि नहीं पाई है।
– प्रशासन की ढिलाई से लोग परेशान
बाढ़ का सबसे काला पक्ष है सरकारी उदासीनता। राहत और बचाव काकाम कहीं दिख नही रहा है। हालांकि प्रशासन का दावा है कि सैलाब में 22 मोटर बोट लगाये गये हैं लेकिन इससे क्या होता है। मोटर बोटों में चलक के अलावा सिर्फ 5 लोग बैठ सकते हैं। बचाव के लिए गड़ी नावों की जरूरत है जो मंगाई ही नहीं गई है। लेखपाल अपने गंवों से गायब है। गावों में बाढ के समय प्रशासन माचिस, नमक, किरासिन, मोमबत्ती व लाई जना पीड़िक के लिए मददगार होते हैं, लेकिन यह पहली बार है किऐसा नहीं हो रहा। प्रशासन पूरी तरफ चुप बैठा हुआ है। बाढ पीड़ित शासन व प्रशासन को कोसने के अलावा कुछ नहीं कर पा रहे हैं।