बाढ़ आती है तबाही के एलान के साथ और जाती है बर्बादी की निशानियां देकर

July 17, 2024 1:18 PM0 commentsViews: 265
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अजीत सिंह

सैलाब के मारे ग्रामीण अपने पशुओं के साथ शरण लिये हुए

सिद्धार्थनगर।  सैलाब की आफत भी छोटी बला नहीं है। यह आती तो तबाही के पूरे एलान के साथ और जाती है तो गाांव गांव बर्बादी की निशानियां छोड़ते हुए। इस साल भी सैलाब ने ग्रामीणों के सीने पर सैकड़ों जख्म बतौर निशानी छोडा है। एक दर्जन लोग डूब कर मर चुके हैं। 40 हैक्टेयर फसल पानी में डूबी हुई है।  हजारों पशु भूखे मर रहे है और बाढ़ पीड़ित मुठ्ठी भर चने को तरस रहे हैं। यही हैं बर्बादी की निशानियां, अब ईश्वर करे बाढ़ कभी न आवे।

सैलाब उतरने के साथ सामान के साथ घर लौटते ग्रामीण

जिले की  राप्ती, बूढ़ी राप्ती, कूड़ा, बानगंगा, आदि नदियों के जलस्तर में थोड़ी कमी जरूर दर्ज की गई है। लेकिन पानी में कैद होने से बाढ़ पीड़ितों की जिंदगी बेपटरी हो गई है। बाढ़ ने आर्थिक और शारीरिक दोनों प्रकार से चोट पहुंचाया है। अगर कृषि को भारी नुकसान हुआ है तो बीमारों के इलाज के लिए स्वास्थ्य टीम यदा कदा ही कहीं-कहीं पहुंच रही है। वहीं, राहत पैकेट भी अब पहुंचने लगा है। लेकिन बाढ़ का दर्द लोगों पर हावी नजर आ रहा है। संपर्क मार्गों पर अभी भी पानी होने से आवागमन बाधित है, जिससे लोगों को अपने जरूरी कामों से जिला मुख्यालय, तहसील व ब्लॉकों पर जाने में भारी असुविधा हो रही है।
सात जुलाई से ही नेपाल के पहाड़ों में हो रही तेज बारिश से शोहरतगढ़ तहसील क्षेत्र के खैरी शीतल प्रसाद, खैरी उर्फ झुंगहवां, तौलिहवा, मटियार उर्फ भुतहवा, तालकुंडा, पकडि़हवा, रेकहट, पथरदेईया, खैरा समेत लगभग 25 से अधिक गांवों व टोलों में बाढ़ का पानी आ गया। बाढ़ से प्रभावित अलग-अलग टोलों में जाकर बाढ़ पीड़ितों से राहत सामग्री, भोजन, बिजली, दवा, आवागमन के साधनों के बारे में जानकारी लेने का प्रयास किया जा रहा है।

घटता पानी, आ अब लौट चलें फिर घर को

इस दौरान पीड़ितों का दर्द छलका पड़ा। बाढ़ से प्रभावित खैरी शीतल प्रसाद ग्राम पंचायत के ग्राम प्रधान शिवकुमार साहनी ने बताया कि हमारे ग्राम पंचायत के सभी आठ टोले बाढ़ से प्रभावित हैं। आवागमन के लिए नाव ही एकमात्र साधन है। छह नाव मिली है। कल  नकोलडीह में 130 बाढ़ प्रभावित परिवारों में राहत सामग्री बांटी गई है। लंच पैकेट रोज मिल रहा है। मटियार उर्फ भुतहवा के ग्राम प्रधान चुल्हई ने बताया कि 350 पैकेट राहत सामग्री को एसडीएम की निगरानी में बांटे गए हैं। नायब तहसीलदार महबूब अंसारी ने बताया कि कुल 500 पैकेट राहत सामग्री आई थी। जिसमें दो ग्राम पंचायतों के 480 लोगों में बांट दिया गया है।

वर्तमान में बाढ़ पीडितों की सबसे बड़ी पीड़ा कृषि और उनके पशुओं को लेकर है। हालांकि प्रशासन अब तक किसानों की क्षति ग्रस्त फसलों का आंकलन नहीं दे पाया है मगर एक अनुमान के अनुसार जिले की कुल 40 हजार फसल बाढ़ से प्रभावित हैं। इनमें से अब तक कितनी नष्ट हुई है यह आकलन का विषय है। इसी प्रकार उनके पशुओं के चारे का संकट भी बरकरार है। पेडारी के दयाराम कहते हैं कि वे अपने जानवरों के लिए चारे की व्ययवस्था नहीं कर पा रहे है। उनके पशु भूखे रह रहे हैं। मनराजी के अनुसार उनके पास 8 बकरियां हैं जो पिछले दो दिन से चारे के बिना चिल्ला रही हैं।

कुल मिला कर जिले के विभिन्न क्षेत्रों से पानी उतरने में अभी एक सप्ताह लग सकता है। मगर इस दौरान बाढ़ पीड़तों को तमाम तकलीफें झेलना पडेगा। गोनहाताल के पृथ्वीराज कहते हैं कि बाढ़ उन सबके लिए अभिशाप है। एक ऐसा अभिशाप, जो आती है तबाहियों के एलान के साथ मगर जाती है हर कदम बरबादियों की निशानियां छोड़ कर।

 

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