Ground report- सैलाब ने लिखी तबाही की इबारत, तटबंधों पर बसी है भूखे और बेबस बाढ़ पीड़ितों की दुनियाँ
— पीड़ित बोले- सात दिन होई गवा, कौनों अफसर अबहिन तक झांके नहीं आये बबुआ
नज़ीर मलिक
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उसका बाज़ार पुल के आस रोड के किनारे शरण लिए ग्रामीण
सिद्धार्थनगर। नदियों के स्थिर होते हो सैलाबी के भयानकता की लिखी इबारत चारों ओर दिखने लगी है। नदी नॉलों से घिरे शोहरतगढ़ और नौगढ़ क्षेत्र के हर तटबंध पर खुले आसमान के नीचे भूख से बिलखते बाढ़पीड़ितों और उनके पशुओं की अकुलाहट साफ़ देखी जा सकती है। दूसरी तरफ सरकारी अमला बेफिक्र हो कर गैर ज़िम्मीदारी का इतिहास रच रहा है।
कपिलवास्तु पोस्ट टीम ने आज ज़िले के कई इलाक़ों में पहुँच कर राहत बचाव टीम की जानकारी ली। भुअही घाट पर राप्ती के दाएं बाँध पर कई दर्जन पीड़ित प्लास्टिक टॉन कर रहते मिले। धर्मपुरवा गुआं छोड़ कर सपरिवार बंधे पर रह रहे मुरलीधर, विदेशी और सागर ने कहा- ” बाबू हम सात दिन से बंधे पर भूखे सो रहे हैं। अबहिं तक कौनों अफसर झांके नहीं आये” जबकि प्रशासन का दावा है कि वो पीड़ितों को खाद्यान्न समेत हर मदद भेज रहा है।
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भुआही घाट तटबंध पर शरण लिए ताल नटवा गाँव के बाढ़पीडित
ताल नटवा के घनश्याम, कमला, रामदेव माँ परिवार भी बंधे पर शरण लिए हुए है। वो लोग 9 दिन से शरण लिए हुए हैं। जब ककपिलवस्तु टीम वहां पहुंची तो सारे मर्द रोज़ी की तलाश में धानी बाजार गए थे। वहां अकेले मर्द परमात्मा थे।उन्होंने बताया कि ज़िल में सबसे पहले यही गाँव सैलाब से घिरता है। हर साल यहाँ सरकारी मदद पहुँचती थी। ये पहली बार है कि कोई सरकारी कर्मचारी यहाँ तक नहीं पहुंचा।
दरअसल यही हालत राप्ती बूढी राप्ती के दोआबे में बसे सौ गाँवों की है। ककरही-गोन्हा बांध पर भी त्राहिमाम मचा है। गोन्हा, उत्तर डिहवा, मझगवां, टेडिया, मारुखर आदि गांवों के परिवार प्लास्टिक तान कर तटबंध पर रह रहे है। बच्चे भूख से बिलबिला रहे हैं, माएं उन्हें बहलाने में लगी है। हमारी टीम ने बॉ में रखे कुछ चिप्स दे कर उनका रोना बन कराया। इसी क्षेत्र के निवासी और पूर्व ज़िल पंचायत सदस्य अर्जुन लोधी बताते है कि अभी तक राहत के नाम पे एक मुट्ठी चना भी यहाँ नहीं पहुंचा है। कल 6 दिन बाद क्षेत्र में एक नाव पहुंची है, जो बचाव के लिए नाकाफी है।
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गाँव छोड़ कर बाँधों पर शरण के लिए जाते पीड़ित
उधर अशोगवा मद्रहवा बाँध पर भी दर्जनों परिवार राहत की आस में बैठे हैं। शोहरतगढ़ में बैदौली लखनापार बाँध पर भी सैकड़ों लोग शरणार्थी बने हुए हैं।बैजनथा, मुर्गाहवा, खैरी, भुताहवा आदि गांवों में भूख से लोग बेहाल हैं। सभी का आरोप है कि कोई सरकारी कर्मी उनकी खबर नहीं ले रहा है। क्षेत्र में बाढ़पीड़ितों के बीच घूम रही सपा नेता ज़ुबैदा चौधरी कहती है कि नदियां तबाही की इबारत लिख रही है तो दर्शक बना प्रशासन ज़िले में गैरजिम्मेदारी भरा कलंकित इतिहास रच रहा है।