भितरघात के चलते निकाय की 9 सीटों पर जीत की रेस में पंक्चर हुई सपा की साइकिल
पूर्व विधानसभा अध्यक्ष व विधायक माता पांडेय व डुमरियागंज विधायक सैयदा के प्रभाव क्षेत्र की पांचों सीटों पर शर्मनाक हार
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। इस नगर निकाय चुनाव में समाजवादी पार्टी रेस का लंगड़ा घोड़ा साबित हुई है। हालांकि 11 निकायों में वह किसी प्रकार नगर पलिका बांसी और नगर पंचायत बर्डपुर का चुनाव जीत गई है। मगर गत चुनाव में जब निकायों की तादाद मात्र 6 ही थी तब सपा ने भाजपा को बराबर की तगड़ी चुनौती देते हुए 3 सीटें जीती थी। एक अन्य सीट पर समाजवादी पार्टी का उम्मीदवार निर्दल के रूप में जीता था। इस प्रकार गत चुनाव में जहां उसकी जीत का प्रतिशत 67 प्रतिशत था वहीं इस बार दो सीटों के साथ कामयाबी का प्रतिशत मात्र 18 ही रह गया है।
समाजवादी पार्टी के प्रभाव वाले इस जिले में सपा की ऐसी दुर्दशा पहले कभी नहीं हुई थी। हालत यह रही कि पार्टी के पमुख स्तंभों में गिने जाने वाले वाले विधायक नेता व पूर्व विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद प्रसाद पांडेय की अपनी विधनसभा क्षेत्र की दोनों निकायों पर सपा उम्मीदवारों की बुरी हार हो गई। दोनों स्थानों पर श्री पांडेय के करीबी और सजातीय उम्मीदवारों को तीसरा स्थान भी नहीं मिल सका। इसका कारण टिकट वितरण में भारी गड़बड़ी बतायी जाती है। पड़ोस की बढ़नी नगर पंचायत में सपा प्रत्याशी राम नरेश उपाध्याय तो अपनी जमानत तक गंवा बैठे। यहां आरोप माता प्रसाद पांडेय पर लगाया जा रहा है कि उन्होंने अपने सजातीयों को टिकट दिला कर विद्रोह और बगावत को जन्म दिया।
डुमरियागंज विधानसभा की तीन निकायों में वहां की विधायक सैयदा और एक अन्य नेता चिनकू यादव ने योग्य कार्यकर्ताओं को टिकट देने के बजाये अपने अपने चहेतों को टिकट दिलवाया। इसका इतना विरोध हुआ कि मुस्लिम और पिछड़ा बाहुल्य इन तीनों निकायों में सपा को बुरी तरह मात खानी पड़ी। समाजवादी पार्टी के एक दिग्गज नेता खुले रूप में बसपा प्रत्याशी के लिए काम करते रहे। नगर पंचायत शोहरतगढ़ में पार्टी सदा से कमजोर रही है। इसलिए वहां की चर्चा ही बेकार है।
सदर विधनसभा क्षेत्र की तीनों निकाय चुनाव में भी गत चुनाव की अपेक्षा इस बार काफी दुगर्ति हुई। उस्का बाजार नगर पंचायत में सपा के जिलाध्यक्ष लालजी यादव की बेटी पुनीता यादव स्वय चेयरमैन थीं। लेकिन उनके पति सुरेश यादव का जनता से पांच साल संवाद न रखना उनको भारी पड़ गया। जिला मुख्यालय की नगर पालिका में इस बार राम सेवक लोघी की उम्मीदवारी रणनीति के लिहाज से सर्वश्रेष्ठ थी, मगर भाजपा द्वारा यादव उम्मीदवार के रूप में गविंद माधव की प्रत्यशिता की घोषणा के साथ ही स्थानीय सपा के यादव नेता व समर्थक रातों रात पाला बदल कर भाजपाई होने लगे। यादवों को रंग बदलता देख सपा का दूसरा कोर वोट मुसलमान भी सपा छोड़ अपने सजातीय उम्मीदवार के पक्ष में चला गया। इस प्रकार जीत की सबसे मजबूत दावेदारी वाली सीट पर सपा उम्मीदवार पांचवें नम्बर पर खिसक गया। उसकी पराजय में क्षेत्र के पूर्व विधायक विजय पासवान व उनके समर्थकों पर भी सवाल उठाये जा रहे हैं।
नगर पालिका बांसी और नगर पंचायत बर्डपुर में सपा जीती जरूर, पर वहां सपा नहीं प्रत्याशियों की अपनी साख काम कर रही थी। बांसी में कई दिग्गज सपाई सपा प्रत्याशी चमन आरा के विरोध में थे। वह लगभग हार चुकीं थीं मगर अंत में वह मात्र कुछ वोटों से जीत सकीं। चमनआरा की छवि अच्छी है। उनके श्वसुर पति और वह स्वयं सपा से चुनाव जीतती रही है। इसलिए वह अपनी बगावत को किसी प्रकार झेल गई। इसी प्रकार बर्डपुर से चुन्ने प्रधान बहुत प्रभावशाली परिवार से हैं। सो अनुसूचित महिला के लिए रिजर्व इस सीट पर उन्होंने अपने संरक्षण में आरती देवी को लड़ा कर जिता लिया। समाजवादी पार्टी की इसमें कोई भूमिका नहीं रही। यहां भी सपा नेता उनके खिलाफ ही काम कर रहे थे।
इस बारे में सिद्धार्थनगर नगर पालिका से पराजित प्रत्याशी राम सेवक लोधी कहते हैं पार्टी ने जीत के समीकरण के साथ मुझे टिकट दिया था। लेकिन नेताओं के भितरघात ने मुझे हरा दिया। कई सीटों पर लोगों ने पार्टी से गद्दारी की। शीघ्र ही इसकी शिकायत पार्टी आलकमान को लिखित दी जाएगी।
जांच कर कार्रवाई करेंगी पार्टी- लालजी यादव
इस बारें में पूर्व विधायक व समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष लालजी यादव ने कहा कि चुनाव में हार जीत तो चलती रहती है। इस चुनाव में पार्टी पूरी एकजुटता से लड़ी मगर उन्हें कहीं से पार्टी द्रोह की शिकायत नहीं मिली फिर भी अगर यह आरोप सत्य है तो पार्टी की समीक्षा बैठक में यदि किसी पराजित प्रत्याशी ने इसकी शिकायत की तो उसकी गहन जांच होगी और भितरघात साबित होने पर उनके खिलाफ कार्रवाई भी की जायेगी।