सिद्धार्थनगर सपा जिलाध्यक्ष के मायनेः आखिर सब कुछ लुटा के होश में आये आखिलेश यादव?
— बीते डेढ़ दशक में समाजवादी पार्टी को गर्त में पहुंचा दिया एक बड़े नेता के करीबी व पूर्व जिलाध्यक्ष ने
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। समाजवादी पार्टी सिद्धार्थनगर के जिलाध्यक्ष पद पर पूर्व विधायक लालजी यादव का चयन पार्टी के लिए यकीनन बेहतर कदम है। इससे पूर्व पार्टी के जिलध्यक्ष पद पर एक ही आदमी लगातार पन्द्रह वर्ष तक रहे। इस दौरान सपा की सांगठनिक क्षमता मिट्टी में मिलती रही। खैर देर से ही सही मगर लगता है कि सब कुछ लुटा कर सपा मुखिया को बात समझ में आ रही है। इसलिए उन्होंने लालजी यादव को अध्यक्ष बना कर समझदारी का काम किया है। हालाकि इससे लाल जी यादव का राजनैतिक नुकसान होना संभव है। परन्तु पार्टी हित में वे इस नुकसान को सहन करने की क्षमता रखते हैं।
अजय उर्फ झिनकू चौधरी सबसे असफल अध्यक्ष
इससे पूर्व समाज वादी पार्टी के गठन के लगभग 28 वर्षों में लगभग 15 वर्ष तक अजय उर्फ झिनकू चौधरी लगातार जिलाध्यक्ष रहे। पहली बार उन्हें मुलायम सिंह यादव जी ने अध्यक्ष बनाया था। उसके बाद सपा में अखिलेश का प्रभाव बढते ही झिनकू चौधरी का कार्यकाल बनाया जाता रहा। हालांकि न तो उनका कोई राजनैतिक जनाधार था और न ही संगठनिक क्षमता का गुण। बस उनकी सबसे बड़ी खूबी यह थी कि वह जिले के एक मजबूत और कद्दावर नेता के बेहद करीबी ‘पाकेट मैन’ थे। इसलिए वे सबसे असफल अध्यक्ष भी साबित हुए।
पार्टी के सूत्र बताते हैं कि वह कई बार अपने गांव के बूथ पर भी सपा को नहीं जिता पाते थे। खुद उनके गांव में हुई एक साम्प्रदायिक झड़प में भी उनका नाम सुर्खियों में आया था। तमाम शिकायतों के बाद भी सपा मुखिया आखिलेश यादव ने उनको अध्यक्ष बनाये रखा।
जहां तक उनकी कार्यकारिणी के गठन का सवाल है उसमें भी केवल गैर जनाधारी व्यक्ति ही थे। ऐसे नेता भी पार्टी के पदाधिकारी थे जो वक्त पड़ने पर पार्टी का सिम्बल तक लेने से इंकार कर दिया करते रहे हैं। पार्टी में बहुत मेहनती कार्यकर्ता भी हैं, बेचई यादव कुशल संगठनकर्ता और अच्छे वक्ता हैं। अजय यादव में संघर्ष की अपार क्षमता है। घिसियावन यादव में प्रतिभा कूट कूट कर भरी है। इनके जैसे लोग पार्टी के महत्वपूर्ण पदों से वंचित रखे गये। चाटुकार पदाधिकारी बनाये जाते रहे और पार्टी गर्त में जाती रही।
नये अध्यक्ष लालजी यादव के मायने
इस बार जाने क्या सोच कर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने जिलाध्यक्ष पद पर पूर्व विधायक लालजी यादव को बैठाया है। लालजी सपा के गठन से पार्टी में हैं। वे सदा संर्रा के बल पर आगे बढ़े हैं । प्रदेश के मौजूदा स्वास्थ्यमंत्री और पूर्व राजघराने के स्वामी जय प्रताप सिंह से टक्कर लेना कोई आसान काम नहीं। मगर जमीन से जुड़े नेता के रूप में लालजी ने हमेशा उन्हें कड़ी टक्कर दी। वह हृदय से धर्मनिरपेक्ष हैं और उन पर अल्पसंख्यकों को पूरा विश्वास भी है, जबकि पूर्व अध्यक्ष झिनकू चौधरी पर उनके गांव के अल्पसंख्कों तक का विश्वास नहीं था।
लगता है अखिलेश यादव को समझ आ गई है
बहरहाल लाल जी को अध्यक्ष बनाना इस बात का प्रतीक है कि अखिलेश यादव को सिद्धर्रानगर जिले की सच्चाई समझ में आ गई है। शायद निरंतर शिकायतों और गत चुनावों की सटीक व्याख्या किसी ने उनको भलीभांति समझा दी है। वे अक्सर डुमरियागंज से किसी अल्पसंख्क को चुनाव लड़ाने की बात पूछते रहते हैं। इससे पता चलता है कि इस बार के चुनाव में वह सम्भवतः डुमरियागंज विधानसभा क्षेत्र से अल्पयंख्यक प्रत्याशी उतारें और डुमरियागंज से गत चुनाव लड़े प्रत्याशी चिनकू यादव को चुनाव लड़ने के लिए पड़ोसी सीट बांसी पर भेजा जा सकता है। यदि ऐसा हुआ तो पूर्व मंत्री कमाल युसुफ की बल्ले बल्ले हो जायेगी। हालांकि चिनकू यादव के बेहद करीबी एक सूत्र का कहना है कि यह कपोल कल्पित है। यह संभव नहीं। लेकिन राजनीतिक गलियारों में यह आंकलन तेजी से पैदा हो रहा है।
क्या बोले नये जिलाध्यक्ष लालजी यादव
यदि ऐसा हुआ तो सर्वाधिक नुकसान लालजी यादव का होगा। लेकिन सूत्र ही यह भी बताते हैं कि लाल जी की उम्र अधिक है। यदि अखिलेश यादव ने ऐसा फैसला लिया तो चुनाव बाद उन्हें एमएलसी बनाया जा सकता है और अगर सरकार भी बन जाती है तो निश्चित रूप से वह मंत्री बना दिये जायेंगे। वैसे लालजी यादव सपा के प्रतिबद्ध सिपाही हैं। उनका कहना है उन्हें पार्टी कुछ दे अथवा न दे, वे पार्टी के हित के लिए सब कुछ कर सकते हैं। अध्यक्ष बन कर वे पार्टी को मजबूत बनाने के लिए जी तोड़ मेहनत करेंगे।