सपाः बस्ती में समाजवाद पर भारी पड़ गया बाजारवाद
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। बस्ती में समाजवाद के ताबूत में आखिरी कील ठुंक चुकी है। सदर सीट से पार्टी के प्रत्याशी उमाशंकर पटवा भले ही चुनाव जीत जाये, मगर वहां समाजवाद की हार तो टिकट वितरण के साथ ही पूरी हो चुकी है। तमाम खांटी समाजवादियों के बावजूद एक व्यापारी का टिकट देना सपा में समाजवाद पर बाजारवाद की जात माना जा रहा है।
समाजवादी पार्टी ने बस्ती सदर से इस बार कई सियासी घाटों का पानी पी चुके उमाशंकर पटवा पर दांव लगाया है। पटवा समाजवाद भले न समझते हों, मगर बड़ा व्यापारी होने की जह से उन्हें समाजवादी पार्टी ही नहीं तमाम सियासी दलों की कीमत अच्छे से मालूम है। लिहाजा वह अक्सर अपनी चालें बहुत सटीक चलते हैं।
पार्टी के गठन से अब तक बस्ती सदर सीट से सपा के बैनर तले कोई प्रत्याशी चुनाव नहीं जीत पाया है, हालाकि समाजवादी विचारधारा के राजमणी पांडेय व राजा लक्ष्मेश्वर सिह एक–एक बार जनता दल के टिकट पर चुनाव जरूर जीते है, मगर वह भी डेढ़ दो साल ही विधायक रह पाये हैं। ऐसे मे पटवा को टिकट दे कर सपा ने एक व्यापारी पर दांव लगा कर अपने इरादे स्परूट कर दिया है।
सदर सीट से टिकट मांगने वालों में चन्द्रभूषण मिश्र विधान सभा अध्यक्ष माता प्रसाद पाण्डेय के, बृजेश मिश्र राजसभा सदस्य आलोक तिवारी के व महेन्द्र नाथ यादव सन्नी यादव विधान परिषद सदस्य के करीबी बताये जाते हैं। यह अपने इन सरपरस्तों के बल पर टिकट बदलवाने की कोशिश मे लगे हैं|
सा से टिकट चाहने वालों में एक नाम सत्येंन्द्र सिंह भोलू का भी है। सत्येन्द्र ने टिकट के लिये आवेदन तक नहीं किया है, लेकिन सपा में उनकी भी मजबूत उपस्थित दर्ज है । सत्येन्द्र सिह भोलू पूर्व राजसभा सदस्य अमर सिह के खास हैं। उन्हें भी यकीन है कि शायद उनके नेता ऊपर कोई जोड़ तोड़ कर सकें।
,चन्द्रभूषण व बृजेश की क्षवि जहा बह्राम्ण नेताओं की है, वहीं महेन्द्र की छवि पिछडे वर्ग के युवा नेता की है। इन सब से हटकर भोलू की क्षवि करीब हर जाति के लोगो मे ठीक है। आगे बढ़ कर दूसरों को सहयोग की भावना ने उन्हें लोकप्रियता दी है।
बहरहाल पटवा के खिलाफ यह मजबूत लाबी, सपा के दरबार में लगी हुई है। चारों के समर्थक अपने स्तर से सक्रिय भी हैं, लेकिन सपा में बढ़ते बाजारवाद के मकड़जाल से समाजवाद मुक्त हो पायेगा, इसकी संभावना दूर–दूर तक नजर नहीं आ रही है।