वार्ड संख्या 12 में हो सकती है तिकोनी या चौकोनी लड़ाई, पूर्व सांसद खुद ले रहे चुनाव में दिलचस्पी
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। इटवा क्षे़त्र के जिला पंचायत सदस्य वार्ड की सियासी सूरत नामांकन के बाद से ही काफी दिलचस्प दिख रही है। यहां से कुल सात लोगों ने पर्चा दाखिल किया है। यदि किसी का नामांकन खारिज न हुआ तो सूरते हाल सही रहनी है। क्योंकि इस वार्ड से कोई भी उम्मीदवार नाम वापस लेने वाला नहीं है। यहां एक प्रत्याशी के पक्ष में पूर्व सांसद मुहम्मद मुकीम द्धारा व्यक्तिगत रुचि लेने के कारण चुनावी फिंजा काफी दिलचस्प हो गई है।
तिकोनी हो सकती है लड़ाई
इटवा विधानसभ में आने वाले वार्ड नम्बर 12 से कुल सात उम्मीवार है। इसमें कांग्रेस पार्टी के नेता और पूर्व सांसद के करीबी इसरार अहमद के पुत्र इजहार अहमद के अलावा भाजपा से रामानंद पांडेय, बसपा से करम हुसैन, भीम आर्मी से ओबैदुर्रहमान चुाव मैदान में हैं। इसके अलावा भाजपा से समर्थन की घण न होने से दुखी बी.एन. ने सपा से नमांकन दाखिल कर दिया है। लेकिन इन प्रत्याशिों की छवि और लोकप्रियता देखते हुए कहा जा सकता है कि यहां प्रारम्भ में चौकोनी लड़ाई होगी जो अंत में सिमट कर तिकोनी भी हो सकती है।
जातीय वोटर बराबर हैं क्षेत्र में
दरअसल इस वार्ड में हिंदू और मुस्लिम वोटरों की संख्या लगभग बराबर है। यही नहीं दोनों समुदायों के उम्मीदवार भी लगभग बराबर ही है। यहां बसपा और भीम आर्मी से दो मुस्लिम लड़ रहे हैं तो सपा से एक ब्राह्मण प्रत्याशी मैदान में है। इस लिहाज से देखा जाए तो दलित वोट दो दल में बंट सकते हैं तो मुस्लिम मत तीन खेमे में जा सकते हैं। इस लिहास से देों तो भाजपा के रामानंद पहले चरण में मजबत दिखते हैं। मगर इटवा की राजनीति को समझने वाले जानेते हैं कि पूर्व सांसद मुहम्मद मुकीम की मुस्लिम मतों पर जबरदस्त पकड़ के लावा हिंदू मतों पर प्रभाव जाहिर है। यहीं नहीं कांग्रेस प्रत्याशी इजहार अहमद के पिता इसरार अहमद खुद क्षेत्र में कीफी जाने जाते हैं। उनकी छवि गरीब के मददगार की भी है। ऐसे में कहा जा सकता है कि चुनाव नामांन के बाद से ही कांग्रेस प्रत्याश इजहार अहमद को साफ बढ़त हासिल है।
साधन और संसाधन होंगे महत्वपूर्ण
नाम वापसी के बाद से चुनाव प्रचार होगा। तब प्रचार के लिए कुल दस दिन ही मिलेगा। इसमें साधन और संसाधन की बहुत जरूरत पड़ेगी। इस मामले में इजहार अहमद सबसे आगे दिख्ाते हैं। बसपा समर्थिक करम हुसैन भी संसाधन से मजबूत है मगर उनकी दिक्कत है कि बसपाइयों में अंदरूनी फूट है अौर एक खेमा उन्हें हराने में जुटा है। जहां तक भाजपा के रामानंद और सपा के बी.एन. त्रिपाठी का सवाल है, उनके पास उतने संसाधन नहीं है। ऐसे में सपा प्रत्याशी की मद यदि स्वयं पूर्व विधानसभा अध्यक्ष मता प्रसाद पांउेय करें तो वह कुछ रेस में आ सकते हैं। फिलहाल इस वार्ड की स्थिति क्या होगी अभी स्पष्ट नहीं है, लेकिन जातीय गणित राजनैतिक समीकरण बताते हैं कि यहां अभी चौकोनी लड़ाई होगी जो बाद में सपा के बी.एन. तिवारी, भाजपा के रामानंद मिश्र और कांग्रेस के इजहार अहमद के बीच सिमट कर रह जायगी।