संतकबीरनगर में कुशल तिवारी के चांस, सपाई दावेदार पाला बदलने की फिराक में
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। संतकबीरनगर जनपद की एक मात्र लोकसभा सीट पर बसपा का और उसके घोषित उम्मीदवार कुशल तिवारी के चुनाव लड़ने के पूरे चांस बन रहे हैं। वहां के राजनीतिक हालात भी कुछ ऐसे हैं कि गठबधंन के दलों द्धारा हस्तक्षेप के कम ही आसार है।
याद रहे कि 2014 के चुनाव में संतकबीरनगर सीट पर भाजपा के शरद तिवारी सांसद निर्वाचित हुए थे। उन्हें करीब 3 लाख 25 हजार वोट मिले थे। उनके मुकाबले बसपा उम्मीदवार कुशल तिवारी करीब 2 लाख 65 हजार वोट पाकर लगभग 60 हजार वोटों से चुनाव हारे थे। सपा के भालचंद यादव करीब 2 लाख 30 हजार वोट पाकर नंबर तीन पर रहे थे ।अगर कोई विशेष बात न हो तो गठबंधन के नियम के अनुसार यह सीट बसपा के हिस्से में आती है।
संतकबीर नगर जिले में आम चर्चा है कि गठबंधन के हिसाब से यह सीट बसपा में जाती देख सपा नेता और पूर्व सासंद भालचंद यादव भाजपा से नजदीकियां बढ़ा रहे हैं। दरअसल इस सीट पर बसपा का गत चुनाव में नम्बर दो पर रहना और बसपा प्रत्याशी का ब्रहमण होना बहुत मायने रखता है। यही सपा के भालचंद की बैचैनी की असली वजह है। लोगों का मानना है कि ब्रहमण, मुस्लिम, दलित और पिछड़ा समाज के इस सोशल इंजीनीयरिंग के करण अखिलेश यादव भी यहां चाह कर कुछ नहीं कर सकते हैं।
बता दें कि इस सीट पर 4 लाख मुस्लिम, साढ़े तीन लाख दलित , ढाई लाख ब्राह्मण ,और २ लाख यादव मिलकर गठबंधन को मजबूत बना रहे हैं। कुशल तिवारी के आने से बसपा के पारम्परिक वोटरों के साथ ब्राह्मण और मुस्लिम वोट भी गठबंधन के खाते में जाना तय है। यही समीकरण भाजपा के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है कुशल के साथ उनके पिता पंडित हरिशंकर तिवारी और विधायक भाई विनयशंकर तिवारी का साथ भी मजबूती देगा ।